विभिन्न प्राकृतिक विरोधी कार्यों को तेजी से विकसित करने का कार्य किया है जिसके दुष्परिणाम वातावरण में हमारे सामने आ रहे है। जिसका असर हमारे दैनिक जीवन पर तेजी से पड रहा है।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
जिस कार्य से सभी का विकास हो वही सही मायने में विज्ञान है। मानव ने अपने अल्प लाभ के लिए अपने को प्रकृति व प्राकृतिक संसाधनों से दूर होकर विभिन्न प्राकृतिक विरोधी कार्यों को तेजी से विकसित करने का कार्य किया है जिसके दुष्परिणाम वातावरण में हमारे सामने आ रहे है। जिसका असर हमारे दैनिक जीवन पर तेजी से पड रहा है। वही इससे हमारा प्राकृतिक संन्तुलन भी अछुता नही रहा है। यह उदगार गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह ने गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के जन्तु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के सभागार में अंतर्राष्टीय ओजोन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होने कहा कि प्रकृति ने हमे बहुत कुछ दिया है। वही दूसरी तरफ मानव ने प्रकृति के साथ छेडछाड करते हुए उसके संतुलन को बिगाड़ने का काम किया है। वर्तमान में बिगडते प्राकृतिक असंतुलन के लिए बहुत हद तक मानव स्वयं ही जिम्मेदार है। उन्होने कहा कि गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से वर्तमान समय में भी शिक्षा के क्षेत्र के साथ साथ प्रकृति के साथ मिलकर प्राकृतिक वातावरण के साथ सामन्जस्य स्थापित कर वातावरण को संन्तुलित करने की दिशा में निरन्तर अग्रसर है। उन्होने कहा कि हमारे विद्यार्थीयो को यहा से यह संकल्प लेकर जाना चाहिए की वह प्रकृति के विरुद्ध जाकर कोई ऐसा कार्य अपने जीवन में नही करेगें जिसके दुष्परिणाम हमारे वातावरण व मानव जीवन पर पडे। उन्होंने लोगों से दैनिक जीवन में यज्ञ करने का आह्वान किया| यज्ञ से वातावरण शुद्धी होती है | इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो हेमलता के. ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा सदैव प्राकृतिक संतुलन के प्रति सजगता रखते हुए कार्य करने की दिशा में अग्रणीय भूमिका का निर्वहन किया गया है। विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में होने वाले मंथन से जो सार निकलेगा वह निश्चय ही समाज व युवाओं का मार्गदर्शन करेगा। जिसके सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में देश व समाज में देखने को मिलेगे। इस अवसर पर उन्होने कार्यशाला में उपस्थित लोगों के समक्ष कुलाधिपति का परिचय दिया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुनील कुमार ने विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कार्यशाला के आयोजन के लिए विभाग को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से विद्यार्थियों को एक ही मंच पर बहुत कुछ सीखने व जानने का अवसर सहजता से उपलब्ध होते है। कार्यशाला के मुख्य वक्ता श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष एवं वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो गुलशन ढींगरा ने विस्तार से इस बारे में जानकारी देते हुए प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत कर लोगों से इस बारे में सजग रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते हम सजग नहीं हुए तो तेजी से घटती ओजोन परत के चलते होने वाले नुकसान की पूर्ति होना बहुत हद तक असंभव होगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने आस पास के क्षेत्रों में सफाई तथा आधुनिक जीवन में उपयोगी संसाधनो जैसे अत्यधिक वाहनों के प्रयोग व ए सी के प्रयोग पर अंकुश लगाना होगा । जिससे की कुछ हद तक इनसे निकलने वाली दूषित वायु के प्रभाव से बचा जा सके। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि डा रीमा पंत ने अपने आस पास के क्षेत्र में सजगता से साथ जीवन शैली जीवन यापन करने का अनुरोध उपस्थित लोगो से किया उन्होने कहा कि अपने स्तर से छोटे छोटे प्रयास के माध्यम से ही हम समाज में कुछ बडा करने की दिशा में अग्रसर हो सकते है इसके लिए हमें स्वयं से पहल करने के लिए आगे आना होगा। डीन ग्रीन ऑडिट प्रो डी एस मलिक ने संबोधन में कहा कि सरकारी स्तर पर किये जा रहे प्रयासों से इस दिशा में बहुत कुछ किया जा रहा है लेकिन अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। जिसके लिए समाज को जागरूक किये जाने की आवश्यकता है। जिससे की समाज में आम आदमी इस बारे में सजग हो इससे होने वाले दुष्परिणामों से बचने के लिए सजग हो आगे आकर कार्य कर सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासो को सफल बनाने की दिशा में अग्रसर हो अपना योगदान दे सके।