यही नहीं उत्तराखंड का मिनी स्विट्ज़रलैंड कहां जाने वाला तुंगनाथ विकास के लिए तरस रहा है ना शौचालय ना गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था न बिजली ना पानी कहीं समस्याओं से जुजता जा रहा है मिनी स्वीटजरलैंड चोपता जहां सरकार पर्यटन के दावे उत्तराखंड में करती आ रही है वहीं धरातल में अगर देखा जाए तो किस तरह व्यवस्थाएं मिल पा रही हैं।
रिपोर्ट - भानु भट्ट
रुद्रप्र्याग, यही नहीं उत्तराखंड का मिनी स्विट्ज़रलैंड कहां जाने वाला तुंगनाथ विकास के लिए तरस रहा है ना शौचालय ना गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था न बिजली ना पानी कहीं समस्याओं से जुजता जा रहा है मिनी स्वीटजरलैंड चोपता जहां सरकार पर्यटन के दावे उत्तराखंड में करती आ रही है वहीं धरातल में अगर देखा जाए तो किस तरह व्यवस्थाएं मिल पा रही हैं इन तस्वीरों के जरिए चोपता से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित भगवान तुंगनाथ के लिए जा रहे पैदल मार्ग पर ना पानी ना शौचालय और नहीं रास्तों के मारोमत जहां-तहां रास्ते उखड़ गए हैं जल मोड़ नालियां कहीं दिख नहीं रही है ।इसके साथ-साथ अगर स्वच्छ भारत की बात की जाए तो ये झाड़ियां में भारी कचरे के थैली यह साबित कर रहे हैं कि किस ढंग से स्वच्छ भारत का नारा मंचों से दिया जा रहा है। वहीं अगर जल जंगल जमीन की बात की जाए तो सूखे पड़े पानी के ये स्टैंड पोस्ट साबित कर रहे हैं की सुंदर सा पत्थर लगाकर किस ढंग से योजनाओं का वारा न्यारा किया गया होगा, ये तस्वीरें सरकार की सारी पोल पट्टी खोल रही है, ओर इसका सही आंकलन कर रहे ये तीर्थ यात्री जो एक आस्था लेकर इस देव भूमि उत्तराखंड में आते है। ओर इन सब समस्याओं का जवाब मांगने को है। आतुर केदारनाथ उपचुनाव में रोजगार के लिए आहे भर रही जनता।