अतिथि व्याख्याता के रूप में प्रोफेसर मीरा पाधी, स्कूल आफ हेल्थ साइकोलॉजी केंद्रीय विश्वविद्यालय हैदराबाद एवं प्रोफेसर संध्या जैन पूर्व प्रोफेसर आगरा मानसिक रोग अस्पताल विभाग में उपस्थित थी।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
कन्या गुरुकुल परिसर के मनोविज्ञान विभाग में अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। अतिथि व्याख्याता के रूप में प्रोफेसर मीरा पाधी, स्कूल आफ हेल्थ साइकोलॉजी केंद्रीय विश्वविद्यालय हैदराबाद एवं प्रोफेसर संध्या जैन पूर्व प्रोफेसर आगरा मानसिक रोग अस्पताल विभाग में उपस्थित थी। प्रोफेसर मीरा ने स्वास्थ्य मनोविज्ञान की वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान दिया। प्रोफेसर मीरा ने स्वास्थ्य मनोविज्ञान के विषय में बताते हुए कहा कि यह मनोविज्ञान की एक उभरती हुई शाखा है जिसमें व्यक्ति के समग्र विकास पर बल दिया जाता है। जिसमें व्यक्ति का संज्ञानात्मक, भावनात्मक, शारीरिक एवं आध्यात्मिक विकास शामिल होता है । प्रोफेसर मीरा ने स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले जैविक, सामाजिक व मनोवैज्ञानिक कारकों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि आज से 100 वर्ष पूर्व तक तीव्र बीमारियां होती थी जिसमें काफी संख्या में लोग मर जाते थे। वर्तमान समय में अधिकतर व्यक्तियों को दीर्घकालिक बीमारियां होती हैं जिसका कारण हमारी खराब जीवन शैली है। खराब जीवनशैली के कारण व्यक्ति अधिकतर मधुमेह, दिल की बीमारी, अर्थराइटिस आदि का शिकार होते हैं जो कभी ठीक नहीं होता, इसका अनुराक्षण करना पडता है । अधिकतर सभी बीमारियों में तनाव एक मुख्य कारण ह। बच्चों का तनाव में रहने का मुख्य कारण एकल परिवार भी ह। एकल परिवार के कारण बच्चों में समायोजन की समस्या आती ह। इन सभी समस्याओं का निवारण बताते हुए प्रोफेसर मीरा ने कहा कि माइंडफुलनेस, सांवेगिक नियंत्रण, योगा, मेडिटेशन आदि विधियों का उपयोग करने पर हम उनका अनुरक्षण कर सकते हैं। व्याख्यान की इसी श्रृंखला में प्रोफेसर संध्या जैन ने भी नैदानिक मनोविज्ञान के विषय में अपने विचार साझा किये। नैदानिक मनोविज्ञान के अध्ययन में मुख्यतः मानसिक विकार के कारणों व निदान के बारे में बताया जाता है। प्रोफेसर संध्या ने नैदानिक मनोविज्ञान में विद्यार्थियों को पेशेवर बनने के लिए "आर सी आई का लाइसेंस कैसे प्राप्त करें" विषय पर निर्देशित किया। व्याख्यान में स्नातक, परास्नातक व शोध विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन विभाग प्रभारी डॉ सुनीता रानी व् डॉ ऋचा सक्सेना ने किय। शिक्षिका डॉ पारुल, शोधार्थी मनिका, भव्या व अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे। दीपा साहू और हरे राम का इसमें विशेष सहयोग रहा|