पतंजलि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अभिभावक बैठक का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विभिन्न प्रांतों के विद्यार्थियों के अभिभावकगण अपने पाल्यों के मूल्यांकन एवं विश्वविद्यालय सम्बंधी अन्य जानकारियों को साझा करने हेतु उपस्थित हुए हैं।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिद्वार, 23 सितम्बर। पतंजलि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अभिभावक बैठक का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विभिन्न प्रांतों के विद्यार्थियों के अभिभावकगण अपने पाल्यों के मूल्यांकन एवं विश्वविद्यालय सम्बंधी अन्य जानकारियों को साझा करने हेतु उपस्थित हुए हैं। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कुलाधिपति स्वामी रामदेव महाराज ने उपस्थित अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपके संतति को श्रेष्ठ बनाने में पतंजलि विश्वविद्यालय बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को श्रेष्ठ आचरण से युक्त बनाना है। स्वामी जी ने कहा कि संघर्षों, चुनौतियों और अभावों में पलने वाले बच्चों में पुरुषार्थ की पराकाष्ठा रहती है। संसार में मनुष्य भौतिकता को श्रेष्ठ मानता है लेकिन हमारा मानना है कि चरित्र सर्वश्रेष्ठ है, उज्ज्वल चरित्र से ही व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि हम जितना लक्ष्य निर्धारित करते हैं उससे कहीं अधिक सफलता अर्जित करते हैं। स्वामी जी ने उपस्थित विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन के मूल्यों के साथ कभी समझौता न करें तथा पुरुषार्थ को जगाने के लिए योग को अपने जीवन में आत्मसात करें। समाज का वातावरण दूषित हो रहा है, भोग-विलास तथा भौतिकवाद निरन्तर बढ़ रहा है। सोशल मीडिया भी इसके लिए कहीं हद तक उत्तरदायी है। अखण्ड प्रचण्ड पुरुषार्थ व संकल्पित होकर कठोर तपस्या करें, निश्चित ही आपका मंगल होगा। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि विद्यार्थी समग्र प्रयास से उन्नति की ओर अग्रसर हों, ईश्वरीय उपासना से दैवीय भाव जागृत करें। उन्होंने कहा कि प्राचीन साहित्यों में तीन ऋणों का वर्णन है जिसमें सर्वप्रथम ऋषि ऋण जहाँ गुरुओं, महात्माओं का स्मरण करते हैं, दूसरा देव ऋण जहाँ देवताओं और विद्वानों के चरित्र को अपनाना तथा तीसरा पितृ ऋण है जिसमें जीवन भर माता-पिता के आदर्शों व इच्छाओं के पालन करने के उपरान्त भी मनुष्य उऋण नहीं हो पाता।