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स्वच्छता अर्थात् केवल हमारे आसपास की सफाई ही नहीं है, बल्कि हमारे विचारों और कर्मों की शुद्धता भी - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


स्वामी ने प्लास्टिक मुक्त, ग्रीन, क्लीन और सरीन जीवनशैली और कथाओं के आयोजन हेतु प्रेरित किया। इस कथा का उद्देश्य न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करना है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के महत्व को भी उजागर करना है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 24 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का समापन आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में हुआ। इस अवसर पर स्वामी ने प्लास्टिक मुक्त, ग्रीन, क्लीन और सरीन जीवनशैली और कथाओं के आयोजन हेतु प्रेरित किया। इस कथा का उद्देश्य न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करना है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के महत्व को भी उजागर करना है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण से न केवल पर्यावरण बल्कि मानव जीवन भी प्रभावित हो रहा है। हमें विशेषकर कथाओं व भंडारों के दौरान प्लास्टिक का उपयोग कम करके, स्वच्छता को बढ़ावा देकर एक स्वस्थ और हरित भविष्य की ओर बढ़ना होगा क्योंकि प्लास्टिक का उपयोग हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है। प्लास्टिक के कचरे से न केवल भूमि और जल प्रदूषित हो रहा हैं, बल्कि यह वन्यजीवों के लिए भी अत्यंत खतरनाक है। स्वामी जी ने कहा कि हमें प्लास्टिक के विकल्पों का उपयोग करना होगा, जैसे कि कपड़े के थैले, कांच की बोतलें, और धातु के बर्तन आदि। स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छता केवल बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक भी होनी चाहिए। स्वच्छता का अर्थ केवल हमारे आसपास की सफाई नहीं है, बल्कि हमारे विचारों और कर्मों की शुद्धता से भी है। स्वामी जी ने ग्रीन और क्लीन जीवनशैली अपनाने का संदेश देते हुये कहा कि हमें अपने आसपास अधिक से अधिक हरियाली के लिये पौधों के रोपण व संरक्षण पर अधिक से अधिक ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि कथाओं की याद में भंडारे तो हों परन्तु पौधों के भी भंडारे हो; पौधे भी वितरित हो। हम धार्मिक स्थानों पर विशेष तिथियों पर जाकर जगह -जगह स्टाल लगाकर भोजन वितरित करते हैं अब तो समय आ गया है कि हम स्टाल लगाकर पौधों का वितरण करें और पौधों के संरक्षण के लिये जनसमुदाय को प्रेरित करें क्योंकि एक शांतिपूर्ण और संतुलित जीवन जीना है तो अब यह जरूरी हो गया है।

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