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भगवान विष्णु के अवतार थे कपिलदेव मुनि - श्रीमहंत रविंद्रपुरी


श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के ईष्ट भगवान कपिलदेव की जयंती अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के सानिध्य में समारोह पूर्वक मनायी गयी। इस अवसर पर अखाड़े के संतों व श्रद्धालुओं ने भगवान कपिलदेव की पूजा अर्चना की और भोग अर्पित कर सभी के लिए मंगल कामना की।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 24 सितम्बर। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के ईष्ट भगवान कपिलदेव की जयंती अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के सानिध्य में समारोह पूर्वक मनायी गयी। इस अवसर पर अखाड़े के संतों व श्रद्धालुओं ने भगवान कपिलदेव की पूजा अर्चना की और भोग अर्पित कर सभी के लिए मंगल कामना की। कनखल स्थित कपिल वाटिका में आयोजित कार्यक्रम में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष शामिल हुए और धर्म संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लिया। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने सभी को भगवान कपिलदेव जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जन-जन के आराध्य भगवान कपिलदेव भगवान विष्णु के पांचवे अवतार थे। अखाड़े की पूरे देश में स्थित सभी शाखाओं में भगवान कपिल मुनि की जयंती समारोह पूर्वक मनायी जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान कपिल मुनि के दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में अपना योगदान कर रहा है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद महाराज ने कहा कि अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान कपिल मुनि तपस्वी ऋषि थे। ईष्ट देवता के प्रसन्न रहने से ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि सभी को भगवान कपिल मुनि की शिक्षाओं को आत्मसात कर मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। महंत सूर्यमोहन गिरी व स्वामी कृष्णानंद ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह, महंत किशन गिरी, महंत देव गिरी, महंत राजेंद्र पुरी, महंत सूर्यमोहन गिरी, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी चेतन गिरी, महंत कमल गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी, कोठारी महंत राघवेंद्र दास, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, महंत विष्णु दास, महंत प्रेमदास, श्रीमहंत साधनानंद, महंत जयेंद्र मुनि, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी प्रेमानंद सहित बड़ी संख्या में संत महंत व श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

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