ऋषिकेश, 5 अक्टूबर। आज विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय ऋषियों ने सदियों से समाज को न केवल ज्ञान का प्रकाश दिया है, बल्कि नैतिकता, धर्म और मानवीय मूल्यों की नींव भी रखी है।
रिपोर्ट - Rameshwar Gaur
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता राजकुमार राव और उनकी धर्मपत्नी, अभिनेत्री पत्रलेखा, परमार्थ निकेतन आये। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया और अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभवों को साझा कर जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। अभिनेता राजकुमार राव और पत्रलेखा विगत वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के समय परमार्थ निकेतन आये थे उस समय भी उन्होंने भारतीय संस्कृति, योग और ध्यान के माध्यम से शांति का वास्तविक अनुभव प्राप्त किया था। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा अभिनेता राजकुमार राव और पत्रलेखा को भेंट किया और उन्हें भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रेरित किया। स्वामी जी ने कहा कि राजकुमार राव और पत्रलेखा वास्तव में परमात्मा के द्वारा लिखे गए दो खूबसूरत पत्र हैं, जो अपने कार्यों के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। राजकुमार राव और पत्रलेखा ने कहा कि गंगा आरती का अनुभव व पल उनके जीवन के विशेष पलों में से एक महत्वपूर्ण पल है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन की यात्रा ने हमें एक नई दिशा और दृष्टिकोण प्रदान किया, जिससे हमारे जीवन में और अधिक सकारात्मकता और शांति प्राप्त हुई है। अब तो ऐसा लगता है मानों परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश हमारा दूसरा घर है। यहां आकर पूज्य स्वामी जी के श्रीचरणों में जो अपनत्व, प्रेम व शान्ति प्राप्त होती है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता । वास्तव में यह स्थान धरती का स्वर्ग है। आज विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, और स्वामी विवेकानंद जैसे महान ऋषियों ने अपने ज्ञान, शिक्षा और विचारों से समाज को एक नई दिशा दी है। हमारे पूज्य ऋषियों ने शिक्षा के माध्यम से समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने के लिये अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। हमारे ऋषि केवल ज्ञान के प्रदाता नहीं थे, बल्कि समाज के निर्माता भी थे। उनकी शिक्षाएं आज भी हमारे जीवन के लिये प्रासंगिक हैं और हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। ऋषियों ने वेदों की रचना की, जो ज्ञान, धर्म, और विज्ञान का प्राचीन स्रोत हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद में जीवन के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत वर्णन है। महर्षि पतंजलि और अन्य ऋषियों ने योग और ध्यान की विधियों का विकास किया, जो आज भी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और वर्तमान समय में तो योग पूरी दुनिया को एकता का संदेश दे रहा है। चरक और सुश्रुत जैसे ऋषियों ने आयुर्वेद की नींव रखी, जो प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है। आर्यभट्ट और भास्कराचार्य जैसे ऋषियों ने खगोल विज्ञान और गणित में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने ग्रहों की गति, शून्य की अवधारणा, और पाई का मान ज्ञात किया। हमारे ऋषियों ने अनेक धार्मिक ग्रंथों की रचना की जिससे हमें मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है और हमारे जीवन को एक दिशा मिल रही है। हमारे ऋषियों ने न केवल भारतीय समा