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संविधान एक किताब नहीं बल्कि यह राष्ट्र का जीवन दर्शन है : डॉ बत्रा


मौलिक अधिकार निर्बाध नहीं है उन पर राज्य युक्तियुक्त नियंत्रण /प्रतिबंध लगा सकता है। भारतीय संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है जिसमें राज्य की शक्ति एवं नागरिकों के अधिकारों के मध्य एक अनोखा संतुलन स्थापित किया गया है। इस अवसर पर संविधान सभा के सदस्य रहे एवं हरिद्वार के गौरव, सांसद पंडित हीरा बल्लभ त्रिपाठी के योगदान को सराहा

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 26 नवंबर, एसएम जे एन पीजी कॉलेज हरिद्वार में संविधान दिवस के अवसर पर एक बोद्धिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कालेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा द्वारा संविधान के द्वारा प्रदत मौलिक अधिकारों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर मुख्य अनुशासन अधिकारी डॉ श्रीमती सरस्वती पाठक, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ संजय माहेश्वरी , सुषमा नयाल, डॉ नलिनी जैन, विनय थपलियाल, डॉ जे सी आर्य, डॉ मनमोहन गुप्ता, दिव्यांश शर्मा, अंकित अग्रवाल, वैभव बत्रा, डॉ पंकज यादव, डॉ पद्मावती तनेजा, नेहा गुप्ता, विनीत सक्सेना,डॉ शिव कुमार चौहान, डॉ विनिता चौहान, रिंकल गोयल,रिचा मिनोचा, डॉ कुसुम नेगी,सुगंधा वर्मा, अश्वनी जगता,एम सी पांडे आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा ने संविधान की प्रस्तावना को बताया । उन्होंने बताया कि पंडित हीरा बल्लभ त्रिपाठी प्रथम लोकसभा सांसद एवं संविधान सभा के सदस्य रहे थे तथा हरिद्वार में महारत्ना कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि संविधान का प्रकाशन देहरादून में हुआ था एवं भारतीय संविधान हाथ से लिख कर हिंदी अंग्रेजी भाषा में कैलिग्राफ किया गया था, इसे टाइप या प्रिंटिंग नहीं किया गया। इस अवसर पर पंडित हीरा वल्लभ त्रिपाठी के योगदान को स्मरण करते हुए उनके योगदान को सराहा। डॉ बत्रा ने संविधान एक किताब नहीं है बल्कि यह राष्ट्र का जीवन दर्शन है उन्होंने मौलिक अधिकारों पर चर्चा करते हुए कहा की मौलिक अधिकार निर्बाध नहीं है ,तथा उन पर राज्य युक्तियुक्त नियंत्रण एवं प्रतिबंध लगा सकता है।

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