चमोली जनपद के सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानी बखà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤° सिंह बिषà¥à¤Ÿ का 01 मई को सà¥à¤¬à¤¹ उनके निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गौचर में देहांत हो गया।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
चमोली 01 मई,2021, चमोली जनपद के सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानी बखà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤° सिंह बिषà¥à¤Ÿ का 01 मई को सà¥à¤¬à¤¹ उनके निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गौचर में देहांत हो गया। अलकनंदा नदी किनारे आज पूरे राजकीय समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ उनका अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° किया गया। उनके à¤à¤¤à¥€à¤œà¥‡ आरà¤à¤¸ बिषà¥à¤Ÿ तथा नाती दिगमà¥à¤¬à¤° व योगेमà¥à¤¬à¤° सिंह ने मà¥à¤–ागà¥à¤¨à¤¿ दी। 103 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानी बखà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤° सिंह बिषà¥à¤Ÿ का जनà¥à¤® 18 जनवरी 1918 को चमोली जिले के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥‹à¤Ÿ गांव में à¤à¤• किसान के घर में हà¥à¤† था। बचपन से ही मन में देश की आजादी का सपना पाले बखà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤° सिंह बिषà¥à¤Ÿ सन 1940 में गà¥à¤µà¤¾à¤² राइफल में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ होकर सेना का हिसà¥à¤¸à¤¾ बने, आजादी से पूरà¥à¤µ सेना में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ होने के 5 साल बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 1945 में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सेना से बगावत कर नेता सà¥à¤à¤¾à¤· चनà¥à¤¦à¥à¤° बोस की सेना में शामिल हो गठऔर देश की आजादी के लिठअंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ हà¥à¤•à¥‚मत से बगावत कर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के खिलाफ लडाई लडी और देश की आजादी में अहम योगदान दिया। उनके निधन पर उनको शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤‚जलि देते हà¥à¤ पूरे समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ उनका अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° किया गया। अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° में परिजनों सहित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ जनपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿, गणमानà¥à¤¯ नागरिक व à¤à¤¸à¤¡à¥€à¤à¤® वैà¤à¤µ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾, तहसीलदार सोहन सिंह रांगड आदि मौजूद रहे।