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विश्व जल सप्ताह, जल की हर एक बूंद बचाने का संकल्प - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


विश्व जल सप्ताह (23-27 अगस्त) के अवसर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संदेश दिया कि भूमिगत जल का संकट गहरा रहा है इसलिये हम सभी को जल के महत्व को समझना होगा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

27 अगस्त, ऋषिकेश। विश्व जल सप्ताह (23-27 अगस्त) के अवसर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संदेश दिया कि भूमिगत जल का संकट गहरा रहा है इसलिये हम सभी को जल के महत्व को समझना होगा। यह भी ध्यान रखना होगा कि जल और पर्यावरण के लिये प्लास्टिक सबसे खतरनाक है अतः हम सभी को सिंगल यूज प्लास्टिक को धीरे-धीरे कम करना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कम होता जल स्तर और जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये जल का प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। जल वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तित हो रही है और जल संकट से पूरा समाज प्रभावित हो रहा है। गुणवत्ता युक्त स्वच्छ जल प्रमुख मानवीय जरूरतों में से एक है। गुणवत्ता युक्त स्वच्छ जल के अभाव से सम्पूर्ण मानवता के लिये एक संकट उत्पन्न हो सकता है। स्वच्छ जल और स्वच्छता मानव अधिकारों का प्रमुख अंग है अतः सभी को मिलकर इस ओर कार्य करना होगा। स्वामी जी ने कहा कि ’दुनिया में रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को जल की एक-एक बूंद के महत्व को समझना होगा तभी हम जल रूपी वैश्विक त्रासदी से उबर सकते हैं। जल का संरक्षण समेकित प्रयासों से ही सम्भव हो सकता है। ’जल हमारा भविष्य ही नहीं बल्कि वर्तमान भी है, अतः जल की हर एक बूंद को संरक्षित करना हमारा दायित्व हैं। वर्तमान समय में 665 मिलियन लोगों तक सुरक्षित एवं स्वच्छ जल की पहुंच नहीं है। अतः ’जल है तो कल है’ ’जल ही जीवन है’ इन उक्तियांे तक सीमित रहने से काम नहीं चलेगा अब इसके लिये जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा। स्वामी जी ने कहा कि जल संकट को कम करने के लिये अपशिष्ट जल का पुर्ननवीनीकरण एवं उपचारित करना भी जरूरी है। अपशिष्ट जल को प्रकृति में प्रवाहित करने से हमारा पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है और इससे प्रकृति के मुल्यवान पोषक तत्व नष्ट हो रहे है। अनुउपचारित जल से पेचिस, टायफाइड, पोलियो जैसी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। स्वच्छ जल, स्वच्छता एवं स्वच्छता सुविधाओं की आवश्यकता मनुष्य के साथ जलीय प्राणियों एवं पर्यावरण को भी है अतः जल संरक्षण एवं जल के पुर्ननवीनीकरण के लिये प्रयास भी युद्ध स्तर करना होगा।

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