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याद किए गए साहित्यकार गोपाल दास नीरज


हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि गोपालदास नीरज की स्मृति में साहित्यिक सामाजिक संस्था अंत: प्रवाह द्वारा मध्य हरिद्वार के एक होटल में साहित्यिक गोष्ठी और कवि सम्मेलन का आयोजन किया|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 28 अगस्त हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि गोपालदास नीरज की स्मृति में साहित्यिक सामाजिक संस्था अंत: प्रवाह द्वारा मध्य हरिद्वार के एक होटल में साहित्यिक गोष्ठी और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में नीरज जी के बेटे मिलन प्रभात और पुत्रवधू श्रीमती रंजना ने भाग लिया कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय वूमेन कांफ्रेंस की उत्तराखंड के अध्यक्ष श्रीमती मंजुला भगत ने की नीरज जी को याद करते हुए प्रभात मिलन ने कहा कि नीरज जी जिंदादिल इंसान थे उनकी कविताएं जीवन की उमंग उत्साह से भरी हुई थी उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलनों में नीरज जी की अपार लोकप्रियता के चलते उन्हें फिल्म नगरी मुंबई के फिल्म जगत ने गीतकार के रूप में नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमन्त्रण दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। और उनकी पहली फिल्म के गाने बहुत लोकप्रिय रहे उन्होंने कहा कि नीरज जी के द्वारा पहली ही फ़िल्म में लिखे कुछ गीत जैसे कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे और देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा बेहद लोकप्रिय हुए जिसका परिणाम यह हुआ कि वे बम्बई में रहकर फ़िल्मों के लिये गीत लिखने लगे। फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा। उन्होंने कहा कि मुंबई की चकाचौंध धीरज जी को अपनी अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाई और मुंबई महानगरी की ज़िन्दगी से भी उनका मन बहुत जल्द उचट गया और वे फिल्म नगरी को अलविदा कहकर फिर अलीगढ़ वापस लौट आये। स्वागत संबोधन श्रीमती नीरा नैयर ने किया संस्था के अध्यक्ष प्रोफेसर श्रवण कुमार शर्मा और सचिव संजय हांडा ने संस्था की साहित्यिक गतिविधियों के बारे में प्रकाश डाला कार्यक्रम का संचालन श्रीमती निधि शर्मा और श्री विवेक नारंग ने किया नीरज जी की याद में आयोजित साहित्यिक गोष्ठी का विषय नीरज जी की कविता- 'जिंदगी तृप्ति है ना प्यास है ,क्योंकि पिया दूर है ना पास है' इस अवसर पर प्रोफ़ेसर श्रवण शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि कई वर्षों तक नीरज जी कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य पाठ से शोभायमान करते रहे संस्था के सचिव संजय संजय हांडा ने कहा कि नीरज जी फ़िल्मों के प्रसिद्ध गीत लेखक थे। अध्यक्षीय संबोधन करते हुए श्रीमती मंजुला भगत ने कहा कि वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया, उनका शुरुआती जीवन बेहद संघर्षपूर्ण था अंग्रेजी साहित्यकार डॉ राधिका नागरथ ने कहा कि नीरज जी चहुमुखी प्रतिभा के धनी थे उन्हें फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। इस अवसर पर डॉक्टर करुणा शर्मा निधि हांडा बिना पोल एमपी माथुर विमल श्रीवास्तव ज्योति शर्मा दीपा त्रेहन टीना घई मनीष जैन प्रीता पांधी नेहा मलिक मीनाक्षी छाबड़ा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया

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