पतंजलि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में ‘मानस गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²â€™ विषयक राम कथा में मोरारी बापू ने कहा कि कल रामनवमी के साथ ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव महाराज का à¤à¥€ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिठ28 वरà¥à¤· हà¥à¤ इस लिठउनका 28वाठजनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ है। à¤à¤¸à¥‡ पावन अवसर पर सà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¸à¥à¤–ाय हेतॠरहित आयोजित यह रामकथा आठवें दिवस में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर रही है। आज की कथा के मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के माननीय शहरी विकास मंतà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² रहे।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 09 अपà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥¤ पतंजलि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में ‘मानस गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²â€™ विषयक राम कथा में मोरारी बापू ने कहा कि कल रामनवमी के साथ ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव महाराज का à¤à¥€ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिठ28 वरà¥à¤· हà¥à¤ इस लिठउनका 28वाठजनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ है। à¤à¤¸à¥‡ पावन अवसर पर सà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¸à¥à¤–ाय हेतॠरहित आयोजित यह रामकथा आठवें दिवस में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर रही है। आज की कथा के मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के माननीय शहरी विकास मंतà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² रहे। बापू ने कहा कि कल पतंजलि रà¥à¤šà¤¿ सोया के à¤à¤«à¤ªà¥€à¤“ की लिसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग के कारण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव कथा में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ नहीं हो सके थे। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मूल ततà¥à¤µ जो वैशà¥à¤µà¤¿à¤• है, उसकी शाशà¥à¤µà¤¤ जड़ों को सींचने के लिठऔर उससे फलित विशाल वट वृकà¥à¤· को और अधिक घना व छायादार बनाने के लिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव अखणà¥à¤¡ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर पारमारà¥à¤¥à¤¿à¤• यजà¥à¤ž में आहूति डाल रहे हैं। नहीं तो फकीर का अरà¥à¤¥ से कà¥à¤¯à¤¾ लेना? जो धरà¥à¤® से विरà¥à¤¦à¥à¤§ न हो à¤à¤¸à¤¾ पारमारà¥à¤¥à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ परमारà¥à¤¥ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाठतो यह à¤à¥€ à¤à¤• यजà¥à¤ž ही है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि विशà¥à¤µ मंगल के लिठपतंजलि का वैशà¥à¤µà¤¿à¤• गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² बनने जा रहा है। उसकी नींव में यह सब परमारà¥à¤¥ जाà¤à¤—ा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि साधॠकी अनेक पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ निवृतà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¯ विशà¥à¤°à¤¾à¤® होता है। माता-पिता तो निमितà¥à¤¤ मातà¥à¤° हैं, जहाठसंगम है, समनà¥à¤µà¤¯ है वहाठसाधॠका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। सचà¥à¤šà¥‡ साधॠका लकà¥à¤·à¤£ बताते हà¥à¤ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ कहते हैं कि जो गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने योगà¥à¤¯ हो उसे गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर ले और जो छोड़ने योगà¥à¤¯ हो उसे छोड़ दे, वही साधॠहै। कथा में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रामजनà¥à¤®, सीता हरण व लंका पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ हेतॠसेतॠनिरà¥à¤®à¤¾à¤£ की कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆà¥¤ सेतॠनिरà¥à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग में पूजà¥à¤¯ बापू ने कहा कि पतà¥à¤¥à¤° का सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ तैरना नहीं है, वानर चंचल पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है वह पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ को बांधकर नहीं रख सकता तथा समà¥à¤¦à¥à¤° का जल तरंगित है सà¥à¤¥à¤¿à¤° नहीं है। तो पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठता है कि सेतॠकैसे बना? गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ कहते हैं कि केवल परमातà¥à¤®à¤¾ की परम कृपा से ही सेतॠका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤†à¥¤