डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर ने 1940 में 'थॉटà¥à¤¸ ऑन पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨' नाम से किताब लिखी। इस किताब में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हिंदà¥à¤“ं को à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में शांति के साथ जीना है तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेना चाहिà¤à¥¤ तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तरà¥à¤• दिया कि कà¥à¤¯à¤¾ संयà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ फौज पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ कर सकेगा जिसका हर तीसरा सैनिक अलग मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देश का समरà¥à¤¥à¤• हो और कà¥à¤¯à¤¾ वह अपनी उस आबादी को संà¤à¤¾à¤² पाà¤à¤—ा जिसका हर चौथा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ निषà¥à¤ ा न रखता हो। इसी किताब में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह सà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि जिस हिसà¥à¤¸à¥‡ में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनना है, उस हिसà¥à¤¸à¥‡ से हिंदà¥à¤“ं और गैर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लोगों को समय रहते निकाल लिया जाà¤à¥¤ साथ ही, जो पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ जाना चाहते हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ जाने दिया जाà¤, लेकिन ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ राजनीतिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¤¸à¥€ रही कि उस वकà¥à¤¤ लोगों को निकाल पाना संà¤à¤µ नहीं रहा। अंततः लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी और करोड़ों लोगों को अपने घर-बार छोड़कर बेघर होना पड़ा।
रिपोर्ट - सà¥à¤¶à¥€à¤² उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
पिछले दिनों à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ ने टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ की कि डॉ आंबेडकर अलग पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के समरà¥à¤¥à¤• थे और वे जिनà¥à¤¨à¤¾ का समरà¥à¤¥à¤¨ कर रहे थे। यह टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ अधूरी सोच का परिणाम है। जब तक आप डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर को समगà¥à¤°à¤¤à¤¾ नहीं पढ़ते, तब तक इसी तरह के निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· निकाले जाते रहेंगे। डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर ने किन आधारों पर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनने की बात कही, उन आधारों को समà¤à¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ जरूरी है और आजादी के सात दशक बाद अब यह बात सही साबित हो रही है कि डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ को लेकर सही समठरखते थे। डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर ने 1940 में 'थॉटà¥à¤¸ ऑन पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨' नाम से किताब लिखी। इस किताब में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हिंदà¥à¤“ं को à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में शांति के साथ जीना है तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेना चाहिà¤à¥¤ तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तरà¥à¤• दिया कि कà¥à¤¯à¤¾ संयà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ फौज पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ कर सकेगा जिसका हर तीसरा सैनिक अलग मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देश का समरà¥à¤¥à¤• हो और कà¥à¤¯à¤¾ वह अपनी उस आबादी को संà¤à¤¾à¤² पाà¤à¤—ा जिसका हर चौथा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ निषà¥à¤ ा न रखता हो। इसी किताब में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह सà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि जिस हिसà¥à¤¸à¥‡ में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनना है, उस हिसà¥à¤¸à¥‡ से हिंदà¥à¤“ं और गैर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लोगों को समय रहते निकाल लिया जाà¤à¥¤ साथ ही, जो पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ जाना चाहते हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ जाने दिया जाà¤, लेकिन ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ राजनीतिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¤¸à¥€ रही कि उस वकà¥à¤¤ लोगों को निकाल पाना संà¤à¤µ नहीं रहा। अंततः लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी और करोड़ों लोगों को अपने घर-बार छोड़कर बेघर होना पड़ा। जो लोग डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर को जिनà¥à¤¨à¤¾ का समरà¥à¤¥à¤• बताते रहे हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी इस किताब में यहां तक लिखा कि कटà¥à¤Ÿà¤° सोच रखने वाले मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ हमेशा सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का विरोध करेंगे इसलिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤• पà¥à¤°à¤—तिशील राषà¥à¤Ÿà¥à¤° बनाने के लिठयह जरूरी है कि जिन लोगों की पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ नाम के अलग देश में आसà¥à¤¥à¤¾ है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके नठदेश जाने देना चाहिà¤à¥¤ डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर के गà¥à¤°à¤‚थ 'थॉटà¥à¤¸ ऑन पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨' पर 1942 में मà¥à¤‚बई में à¤à¤• कॉनà¥à¤«à¥à¤°à¥‡à¤‚स à¤à¥€ हà¥à¤ˆà¥¤ इस कॉनà¥à¤«à¥à¤°à¥‡à¤‚स में डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर ने बहà¥à¤¤ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से कहा कि यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤ अपने आपको à¤à¤• राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के रूप में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखना चाहता है तो उसे à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ सेना का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना पड़ेगा जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की मूल आतà¥à¤®à¤¾ में à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ रखती हो। असल में डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना में उस वकà¥à¤¤ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ समरà¥à¤¥à¤• मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ की तरफ इशारा कर रहे थे। इस गà¥à¤°à¤‚थ में डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर ने जो आशंकाà¤à¤‚ जताई थी, बाद में वे सच साबित हà¥à¤ˆà¥¤ यदि सरकार ने डॉकà¥à¤Ÿà¤° अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° की योजना को लागू किया होता तो पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनने के वकà¥à¤¤ जिस तरह का कतà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® हà¥à¤†, उससे बचा जा सकता था। उस वकà¥à¤¤ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हिसà¥à¤¸à¥‡ के दलित नेताओं ने डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर से संपरà¥à¤• किया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया कि जैसे à¤à¥€ हो वे à¤à¤¾à¤°à¤¤ पहà¥à¤‚चना सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करें। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पंडित नेहरू से अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया कि वे महार रेजीमेंट को पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¥‡à¤œà¥‡à¤‚ ताकि वहां फंसे हà¥à¤ दलितों तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने के इचà¥à¤›à¥à¤• हिंदà¥à¤“ं को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ निकाला जा सके। यह सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ तथà¥à¤¯ है कि उस वकà¥à¤¤ जिन हिंदà¥à¤“ं और दलितों ने डाकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर की बात नहीं मानी, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाद में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¥‡ दिनों का सामना करना पड़ा। यहां यह बात जरूर है कि कहीं ना कहीं जिनà¥à¤¨à¤¾ के मन में à¤à¤• दबी हà¥à¤ˆ इचà¥à¤›à¤¾ थी कि यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤ का दलित वरà¥à¤— उनके साथ आ जाठतो शायद वे पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के à¤à¥Œà¤—ोलिक आकार को और बड़ा कर पाà¤à¤‚गे। समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ इसी कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने डॉ अंबेडकर के राजनीतिक मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• डॉ जोगेंदà¥à¤° नाथ मंडल को अपने साथ मिला लिया था और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के संविधान के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का जिमà¥à¤®à¤¾ सौंपा था, लेकिन डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर जिनà¥à¤¨à¤¾ के बहकावे में नहीं आठऔर यह बात उस वकà¥à¤¤ सही साबित हà¥à¤ˆ जब पूरी तरह से निराश और टूटे हà¥à¤ डॉकà¥à¤Ÿà¤° जोगेंदà¥à¤° नाथ मंडल पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ छोड़कर वापस à¤à¤¾à¤°à¤¤ आ गà¤à¥¤ यह डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर की दूर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ थी कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 1952 से 1954 के बीच पंडित नेहरू पर लगातार दबाव बनाया कि वे कशà¥à¤®à¥€à¤° में जनमत संगà¥à¤°à¤¹ करा कर इस मामले का अंतिम निसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤£ कर लें अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में यह मामला आने वाले समय में à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अखंडता à¤à¤•à¤¤à¤¾ के लिठबड़ा संकट बनेगा। डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर उन लोगों में शामिल थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गिलगित और बालटिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में फंसे हà¥à¤ हिंदà¥à¤“ं, सिखों और दलितों को à¤à¤¾à¤°à¤¤ लाकर बसाने पर जोर दिया। यदि कà¥à¤› लोग डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर की किताबों और उनके à¤à¤¾à¤·à¤£à¥‹à¤‚ से इकà¥à¤•à¤¾-दà¥à¤•à¥à¤•à¤¾ वाकà¥à¤¯ उठाकर किसी निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करेंगे तो यकीनन उनका निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· खतरे से खाली नहीं होगा। जो लोग डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर को पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का समरà¥à¤¥à¤• बताते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ डॉकà¥à¤Ÿà¤° अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° पर लिखी हà¥à¤ˆ वसंत मून की किताब 'बाबासाहब अंबेडकर' जरूर पढ़नी चाहिà¤à¥¤ जो महानà¥à¤à¤¾à¤µ डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर और जिनà¥à¤¨à¤¾ को à¤à¤• पलड़े में रखना चाहते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤¸ मिशन के सामने डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जिनà¥à¤¨à¤¾ की योजना का विरोध किठजाने की à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• घटना के बारे में à¤à¥€ पढ़ना चाहिà¤à¥¤ उस वकà¥à¤¤ डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर ने जिनà¥à¤¨à¤¾ की उस योजना का विरोध किया था, जिसमें देश के विधान मंडलों, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚, सरकारी नौकरियों और फौज में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को 50 फीसद आरकà¥à¤·à¤£ दिठजाने की मांग की गई थी। इस योजना को कà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤¸ मिशन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किठजाने पर डॉकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर ने à¤à¤• बड़ी विजय बताया था। अधूरी सोच रखने वाले लोगों से निवेदन है कि डॉ आंबेडकर पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करने से पहले à¤à¤• बार तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ठीक से जरूर देख लें।