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ईश्वरीय अनुदान है गंगा और गायत्री ः डॉ. पण्ड्या


अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि समस्त प्राणी को ईश्वरीय अनुदान के रूप में पतित पावनी माँ गंगा और सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री माता गायत्री मिला है। इनकी जितनी उपासना, साधना व आराधना की जाय, उतना ही श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होंगे।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

हरिद्वार, १० जून। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि समस्त प्राणी को ईश्वरीय अनुदान के रूप में पतित पावनी माँ गंगा और सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री माता गायत्री मिला है। इनकी जितनी उपासना, साधना व आराधना की जाय, उतना ही श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होंगे। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित दो दिवसीय पर्वाेत्सव के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गंगा दशहरा व गायत्री जयंती पर्वाेत्सव मनाने आये देश-विदेश के हजारों स्वयंसेवी कार्यकर्त्ता मौजूद रहे। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि गायत्री सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री हैं, इसके जप से साधक का ज्ञान बढ़ता है और उनकी वृत्ति सकारात्मक दिशा की ओर प्रवृत्त होती है। उन्होंने कहा कि भारतीयता की पहचान है गंगा और गायत्री। जिस तरह सगर पुत्रों की रक्षा हेतु भागीरथ ने तप कर गंगा को धरती पर लायें, उसी तरह वर्तमान युग के भागीरथ युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान के लिए गायत्री को श्राप मुक्त कर जन-जन तक पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि गायत्री ने सामूहिक संस्कृति का परिष्कार किया है। यह राष्ट्र की आराधना का महामंत्र है। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने गंगा और गायत्री की विभिन्न पौराणिक कथानकों के माध्यम से आज युवाओं को निःस्वार्थ भाव से समाज के हित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कई पुस्तकों के लेखक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने दीक्षा के तीन रूप- मंत्र, अग्नि एवं ब्रह्म दीक्षा पर विस्तृत जानकारी दी। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि गायत्री परिवार के कई लाख से अधिक युवा, स्वयंसेवी कार्यकर्त्ता गंगोत्री से गंगासागर तक की २५२५ किमी दूरी तय करने वाली पतित पावनी मां गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने में पिछले कई वर्षों से जुटे हैं।

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