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एक विधान, एक निशान और एक प्रधान राष्ट्रीय एकता हो पहचान स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज एक विधान, एक निशान और एक प्रधान को साकार करने हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले डाॅ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की पुन्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।’’ मुखर्जी ने भारत की एकता, अखंडता और विकास के लिये स्वयं को भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया था|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 23 जून। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज एक विधान, एक निशान और एक प्रधान को साकार करने हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले डाॅ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की पुन्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।’’ मुखर्जी ने भारत की एकता, अखंडता और विकास के लिये स्वयं को भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया था, आज उनकी देशभक्ति, निष्ठा और दृढ़ संकल्प को नमन और भावभीनी श्रद्धाजंलि। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अखंड भारत, एक विधान, एक निशान और एक प्रधान का सुन्दर स्वप्न देखा और उसके लिये जीवनपर्यन्त कार्य भी करते रहे। उन्होंने अध्यात्मवाद, मानवतावाद और वैज्ञानिकता के आधार पर देश के विकास पर जोर दिया। उनका मानना था कि मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा है। वे चाहते थे कि भारत में ’एक विधान, एक निशान और एक प्रधान हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसे साकार कर अखंड भारत की संकल्पना को मूर्त रूप प्रदान किया। स्वामी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अग्रदूत डाॅ श्यामाप्रसाद मुखर्जी के संकल्पों को आगे बढ़ाते हुये भारत के ऊर्जावान व कर्मयोगी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाया, हम सभी भारतवासियों की ओर से श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अखंड भारत की सच्ची श्रद्धाजंलि अर्पित करते हंै।

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