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प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण से युक्त उत्तराखंड


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘एकल उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध’ के निर्णय का स्वागत करते हुये केन्द्र व राज्य सरकारों का अभिनन्दन किया और कहा कि अब समय आ गया सख्ती का।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 1 जुलाई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ‘एकल उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध’ के निर्णय का स्वागत करते हुये केन्द्र व राज्य सरकारों का अभिनन्दन किया और कहा कि अब समय आ गया सख्ती का। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने मणिपुर भूस्खलन में शहीद हुये जवानों को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि सेना के जवान हमारे देश की शक्ति हैं और आज उन्हें शान्ति की जरूरत है। प्रभु उनके परिवार के सदस्यों को यह दुःख सहने की शक्ति और संबल प्रदान करें। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि केंद्र सरकार ने एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की एक सूची को तैयार कर आज 1 जुलाई, 2022 को उन्हें प्रतिबंधित करने का अद्भुत निर्णय दिया। सिंगल यूज प्लास्टिक अर्थात प्लास्टिक की वे वस्तुयें जिन्हें हम एक बार उपयोग कर फेंक देते हंै परन्तु इससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है। जब प्लास्टिक लंबे समय तक पर्यावरण में उपस्थित रहता है और अपघटित नहीं है तो यह माइक्रोप्लास्टिक में परिवर्तित हो जाता है। उसके बाद पहले यह हमारे खाद्य स्रोतों और फिर मानव शरीर में प्रवेश करता है, जो हमारे और हमारी प्रकृति के लिये बेहद हानिकारक है। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने आज से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद जैसे- प्लास्टिक की थैलियाँ, स्ट्रॉ, कॉफी बैग, सोडा और पानी की बोतलें तथा अधिकांशतः खाद्य पैकेजिंग के लिये प्रयुक्त होने वाला प्लास्टिक, पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन सहित अधिसूचित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग प्रतिबंधित किया है। वैज्ञानिकों रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 5-10 प्रतिशत के लिये जिम्मेदार हो सकता है। अब समय आ गया है कि हम कंपोस्टेबल और बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं का उपयोग करें। प्लास्टिक की थैली के स्थान पर कपड़े का झोला तथा प्लास्टिक की वाटर बाॅटल के स्थान पर कापर या स्टेनलेस स्टील की बाॅटल का उपयोग करें। हम रोज टहलने जाते हैं, बाजार के लिये निकलते है या जॉगिंग के लिये जाते है तो अब एक झोला लेकर निकले ताकि रास्ते में पड़े चिप्स का पैकेट या प्लास्टिक कैन उसमें एकत्र करें यह एक सरल माध्यम है जिससे अपनी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण की देख-भाल होगी लेकिन इस आदत को हमारे रक्त में व डीएनए में डालना होगा ताकि प्रकृति और पर्यावरण सुरक्षित रह सके।

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