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आजीविका संवर्द्धन हेतु कौशल विकास को बढ़ावा देना आवश्यक - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा कि आज के दिन का उद्देश्य सभी के लिये समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना ताकि सभी को आजीविका के अवसर प्राप्त हो सके। आजीविका संवर्द्धन हेतु कौशल विकास को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 15 जुलाई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा कि आज के दिन का उद्देश्य सभी के लिये समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना ताकि सभी को आजीविका के अवसर प्राप्त हो सके। आजीविका संवर्द्धन हेतु कौशल विकास को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। स्वामी ने कहा कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये स्किलिंग, अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग को बढ़ावा देना होगा। भारत विश्व के सबसे युवा देशों में से एक है, जहाँ औसत आयु 29 वर्ष है। हमारे देश की युवा आबादी हमारी अद्भुत मानव पूंजी हैं अतः उनकी शिक्षा एवं कौशल निर्माण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्वामी ने कहा कि भारत के युवा प्रतिभावान हंै जरूरत है तो उन्हें कौशल से युक्त बनाने की। कोविड-19 के पश्चात न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। इस समस्या को कम करने के लिये भारत में कौशल विकास को बढावा देने की जरूरत है। भारत में कौशल विकास तथा बेरोजगारी की समस्याओं को दूर करने के लिये स्कूली स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। स्वामी ने कहा कि अपने राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिये हमें विकास का एक ऐसा माॅडल चाहिये जो व्यक्ति एवं समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन दे सके। सभी की पहुंच मौलिक सुविधाओं तक हो और यह तभी सम्भव है, जब हम प्रत्येक मानव में माधव की छवि देख पाये और हमारे जीवन का लक्ष्य मानव सेवा ही माधव सेवा हो, हम इसी भाव से जीवन में आगे बढ़ते रहे। निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना ही मानवता की सेवा है। दुनिया में ऐसे कई महापुरूष हुये जिन्होंने दूसरों की सेवा के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज भारत सहित विश्व की एक बड़ी आबादी गरीबी में जीवन यापन कर रही है। हमारे पास विकास के कई मॉडल हंै, फिर भी हमारे देश की बड़ी आबादी अनेक अभावों के साथ जीवन जी रही है, इसलिये हमें विकास के ऐसे मॉडल की जरूरत है जो प्रकृति और पर्यावरण के अनुरूप हो और यही शिक्षा हमें अपनी भावी पीढ़ियों को भी देनी है।

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