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पर्यटन विभाग हरिद्वार के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन


विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर विश्व पर्यटन संगठन द्वारा निर्धारित थीम ‘‘रिथिंकिंग टूरिज्म’’ (पर्यटन पर पुनर्विचार) पर पर्यटन विभाग हरिद्वार के तत्वावधान एवं होटल, धर्मशाला ट्रेवल एसोसिएशन के सहयोग से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में उत्तराखंड में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर विश्व पर्यटन संगठन द्वारा निर्धारित थीम ‘‘रिथिंकिंग टूरिज्म’’ (पर्यटन पर पुनर्विचार) पर पर्यटन विभाग हरिद्वार के तत्वावधान एवं होटल, धर्मशाला ट्रेवल एसोसिएशन के सहयोग से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में उत्तराखंड में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। पर्यटन विभाग की ओर से विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर आयोजित विचार संगोष्ठी का शुभारंभ नगर मजिस्ट्रेट अवधेश सिंह, डिप्टी कलेक्टर नूपुर वर्मा, महाप्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र पल्लवी गुप्ता, क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी सुरेश सिंह यादव ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी सुरेश सिंह यादव ने पर्यटन विकास में संस्कृति के महत्व की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड एवं हरिद्वार अपनी अध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्ता के कारण विश्वभर में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। तीर्थनगरी में विभिन्न देशों और धर्मों के करोड़ों लोग आध्यात्मिक उन्नयन, गंगा स्नान हेतु वर्षपर्यन्त आते रहते हैं। इसके अलावा सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक महत्ता की दृष्टि से भी यह तीर्थ और पर्यटनस्थल देश दुनिया में शांति का संदेश प्रसारित कर रहा है। देश में बहुधर्मी लोगों के रहते हुए भी भारत एक लोकप्रिय लोकतांत्रिक राष्ट्र है, यही हमारी पहचान है। लिहाजा हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी लोक संस्कृतियों के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए निरंतर प्रयासरत रहें। नगर मजिस्ट्रेट अवधेश सिंह ने विश्व पर्यटन दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जब संस्कृति बचेगी तभी पर्यटन विकास होगा और हमारी सामाजिक, आर्थिक विरासत का संवर्धन संभव हो सकेगा। उन्होंने बताया कि विश्व में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक एकता के लिए विश्व पर्यटन दिवस की शुरुआत 27 सितंबर 1980 को हुई थी। हम सभी को पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन और पर्यटन से जुड़ी सभी संस्थाओं को एकसाथ मिलकर कार्य करना होगा। तीर्थनगरी आने वाले यात्रियों/पर्यटकों के साथ हम सभी को मधु व्यवहार करना चाहिए। यदि हम पर्यटकों के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे तो यहां के पर्यटन को अत्याधिक बढ़ावा मिलेगा।

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