देवसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤²à¤¾à¤§à¤¿à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¥‡à¤¯ डॉ पà¥à¤°à¤£à¤µ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने कहा कि सातà¥à¤µà¤¿à¤• साधना से साधक के जीवन में रूपांतरण होता है। साधना à¤à¤¸à¥€ होनी चाहिठजिससे बाहà¥à¤¯ और आंतरिक दोनों में परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो। साधक का समरà¥à¤ªà¤£ समगà¥à¤° होना चाहिà¤, तà¤à¥€ à¤à¤—वान की विशेष कृपा के अधिकारी बन पाते हैं।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 3 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर। देवसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤²à¤¾à¤§à¤¿à¤ªà¤¤à¤¿ डॉ पà¥à¤°à¤£à¤µ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने कहा कि सातà¥à¤µà¤¿à¤• साधना से साधक के जीवन में रूपांतरण होता है। साधना à¤à¤¸à¥€ होनी चाहिठजिससे बाहà¥à¤¯ और आंतरिक दोनों में परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो। साधक का समरà¥à¤ªà¤£ समगà¥à¤° होना चाहिà¤, तà¤à¥€ à¤à¤—वान की विशेष कृपा के अधिकारी बन पाते हैं। डॉ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ देवसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के मृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय सà¤à¤¾à¤—ार में शारदीय नवरातà¥à¤° के अवसर पर आयोजित सतà¥à¤¸à¤‚ग शृंखला के सातवें दिन उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ साधकों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर देश विदेश से आये गायतà¥à¤°à¥€ साधकों के अलावा देवसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°à¥à¤¸ à¤à¤µà¤‚ शांतिकà¥à¤‚ज के अंतःवासी कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤¾à¤ˆ बहिन उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे। गीता मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž डॉ. पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने कहा कि साधना से चितà¥à¤¤ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ होती है और वह अविदà¥à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करती है। जब साधक का सदà¥à¤—à¥à¤°à¥-à¤à¤—वान सफाई और रंगाई करता है, तब वह सफलता की उंचाई को छूता है। उसका वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ निखरता है और साधक का अंतःकरण पवितà¥à¤° होता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि आज à¤à¤¸à¥‡ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है जो दà¥à¤µà¥‡à¤· रहित हो और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤— को शà¥à¤, अशà¥à¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥‡à¤¦ बता सके। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤—वत गीता के शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– करते हà¥à¤ अखिल विशà¥à¤µ गायतà¥à¤°à¥€ परिवार पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¥‡à¤¯ डॉ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की समà¥à¤¯à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि सचà¥à¤šà¥‡ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को लोकवासना, अहंकार जैसे दोष से सदैव बचना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§, महावीर, पं शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® शरà¥à¤®à¤¾ आचारà¥à¤¯ आदि à¤à¤¸à¥‡ महापà¥à¤°à¥à¤· थे, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आदरà¥à¤¶ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ का जीवन जिया और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन को इतना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤µà¤¾à¤¨ बना लिया, जिससे अनेक साधक पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेते हैं। इस अवसर पर देसंविवि के अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤• डॉ. पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने साधकों à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की साधनातà¥à¤®à¤• जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं का à¤à¥€ समाधान किया। इससे पूरà¥à¤µ यà¥à¤—गायकों ने ‘माठइतनी कृपा कर दे, बस इतनी दया कर दें..’ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ गीत को सितार, बांसà¥à¤°à¥€ आदि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वादà¥à¤¯à¤¯à¤‚तà¥à¤°à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं, शिकà¥à¤·à¤•-शिकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं, देसंविवि व शांतिकà¥à¤‚ज के अनेक कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराया।