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डॉ श्याम सुंदर दास शास्त्री जी की श्रद्धांजलि सभा मैं संतों का उमड़ा जनसैलाब |


हरिद्वार में शिव मूर्ति के निकट स्थित गरीब दासी आश्रम में गरीब दासी संप्रदाय के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी डॉक्टर श्यामसुंदर दास शास्त्री महाराज का षोडशी संस्कार एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । जिसमें बड़ी तादाद में साधु संतों ने हिस्सा लिया। श्रद्धांजलि सभा में सभी संतो ने एक सुर से उत्तराखंड सरकार से मांग की कि देव भाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले महामंडलेश्वर डॉ श्याम सुंदर शास्त्री के नाम पर उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय में संस्कृत शोध पीठ की स्थापना की जाए।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार 16 अगस्त ।हरिद्वार में शिव मूर्ति के निकट स्थित गरीब दासी आश्रम में गरीब दासी संप्रदाय के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी डॉक्टर श्यामसुंदर दास शास्त्री महाराज का षोडशी संस्कार एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । जिसमें बड़ी तादाद में साधु संतों ने हिस्सा लिया। श्रद्धांजलि सभा में सभी संतो ने एक सुर से उत्तराखंड सरकार से मांग की कि देव भाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले महामंडलेश्वर डॉ श्याम सुंदर शास्त्री के नाम पर उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय में संस्कृत शोध पीठ की स्थापना की जाए। इस अवसर पर उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, हरिद्वार रानीपुर क्षेत्र के विधायक आदेश चौहान ,पूर्व मेयर मनोज गर्ग समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे । कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि शिव मूर्ति से रेलवे स्टेशन मार्ग का नाम डॉ श्याम सुंदर शास्त्री मार्ग रखा जाएगा और निर्माणाधीन भवन और गंगा घाट का नाम श्यामसुंदर दास शास्त्री रखा जाएगा। श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने की। इस अवसर पर बोलते हुए आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने कहा कि डॉक्टर स्वामी श्यामसुंदर दास शास्त्री शिक्षाविद उच्च कोटि के विचारक चिंतन और महान संत थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। क्षऋषिकेश परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि शास्त्री जी के विचार हमेशा प्रासंगिक रहेंगे । उन्होंने संतों से आवाहन किया कि वे अपने संतों और गुरुओं के ब्रह्मलीन होने पर उनकी स्मृति में उनकी आयु के बराबर पौधे रोपेे। उन्होंने कहा कि 2021 के कुंभ मेले में राज्य सरकार से संतो की भू समाधि के लिए एक प्रेरणा स्थल प्रदान करने की मांग की जाएगी। सभी संतो के अंतिम संस्कार की प्रेरणा स्थल में होंगे और इस प्रेरणा स्थल में संतो की वृक्षारोपण किया जाएगा। श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि महामंडलेश्वर शास्त्री जी मानवतावादी थेे। महामंडलेश्वर प्रखर महाराज ने कहा कि शास्त्री जी सरल स्वभाव के संत थे। असली मायने में ऐसे संत थे जिन्होंने समाज को शिक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। श्री निर्मल संत पुरा कनखल के परमाध्यक्ष महंत जगजीत सिंह महाराज ने कहा कि डॉ श्याम सुंदर दास शास्त्री जी संत समुदाय के भीष्म पिता थे। वह अपने जीवन के अंतिम समय में भी साधु संतों के हर कार्यक्रम और समारोह में सक्रिय रहे। संस्कृत के क्षेत्र में उनके द्वारा दिए गए योगदान को संत समाज कभी भुला नहीं सकता है। जयराम आश्रम के प्रमुख ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि डॉ श्याम सुंदर दास शास्त्री जी महामानव थे । श्रद्धांजलि सभा का संचालन करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज ने कहा कि डॉ श्याम सुंदर दास शास्त्री जी सच्चे मायनों में संत दे। उन्होंने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने कहा कि शास्त्रीजी के दो शिष्य आचार्य डॉक्टर हरिहरानंद और भागवताचार्य रवि देव शास्त्री, महंत दिनेश दास और उनके अनन्य भक्त संजय वर्मा डॉक्टर श्यामसुंदर दास शास्त्री जी की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे । डॉ श्याम सुंदर दास शास्त्री जी के उत्तराधिकारी आचार्य डॉ स्वामी हरिहरानंद और भागवताचार्य रवि देव शास्त्री ने सभी अतिथियों का आभार जताते हुए कहा कि कहा कि वे गुरु जी के बताए मार्ग पर पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा के साथ चलेंगे और उनके छोड़े गए अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाएंगे। प्रेस क्लब हरिद्वार के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने डॉक्टर श्यामसुंदर दास शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि शास्त्री जी ने संस्कृत भाषा को राजभाषा के रूप में स्थापित करने में हमेशा ही अहम भूमिका निभाई । संस्कृत भाषा के प्रखर वक्ता थे। बैरागी संप्रदाय के महंत बाबा हठयोगी ने कहा कि श्यामसुंदर दास शास्त्री जी ने अपने जीवन काल में अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने दो शिष्यों को स्थापित किया । यह एक अच्छी परंपरा है जिससे संतो के ब्रह्मलीन होने पर कोई विवाद नहीं होता ,क्योंकि विवादों के चलते कई आश्रमों में सरकार का कब्जा हो गया है । अब सभी संतो को अपने जीवन काल में ही अपने उत्तराधिकारी घोषित कर देने चाहिए । इस अवसर पर प्रमुख संतों में नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, योगाचार्य चैतन्य प्रभु, श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के कोठारी महंत प्रेमदास , निर्मल पंचायती अखाड़ा के महंत प्रेम सिंह बनारस से आए शिक्षाविद और दयालु संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी स्वामी माधवानंद महाराज ,महंत कृष्ण दास , शिक्षाविद उपन्यासकार मोना वर्मा, महामना मदन मोहन मालवीय संस्थान के प्रमुख डॉक्टर रमेश चंद शर्मा, पदम प्रकाश सुवैदी ,लोकनाथ सुवैदी ,राजेंद्र मिश्र, माता संतोष देवी सुंदरलाल विज ,सुरेंद्र तोमर ,दर्शन कुमार, विपिन कोड़ा, डॉ चिंतामणि गौतम ,पंडित रामचंद्र शर्मा ,विजय शर्मा ,गिरीश वर्मा ,अनमोल वर्मा ,नेपाल से आई विदुषी सुशीला देवी ,बलराम कार्की ,संजय बिष्ट ,महंत श्री देव महंत मुनी ,महंत महादेव स्वामी जय मां मिशन ,महंत सुरेंद्र मुनि, सुदर्शन आश्रम के महंत रघुवीर दास समेत विभिन्न अखाड़ों के महंत महामंडलेश्वर उपस्थित थे।

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