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परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) प्रशिक्षण का शुभारम्भ


परमार्थ निकेतन में मेदांता द मेडिसिटी के विशेषज्ञों द्वारा दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और सेवा टीम को दिया जा रहा है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 26 अप्रैल। परमार्थ निकेतन में मेदांता द मेडिसिटी के विशेषज्ञों द्वारा दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और सेवा टीम को दिया जा रहा है। मेदांता द मेडिसिटी की टीम ने डा ईशान वर्द्धन, बीएलएस प्रशिक्षक मेघन बीएलएस कैम्प मैनेजर राज, निखिल मिश्रा, डा सुपर्णा जोशी, ब्रज ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। टीम ने स्वामी जी के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्वलित कर प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया। डा ईशान वर्द्धन और बीएलएस प्रशिक्षक मेघना ने कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण दिया। जीवनरक्षक तकनीक कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) अर्थात् किसी की सांस या दिल की धड़कन रुक गई हो, उदाहरण के लिए, जब किसी को कार्डियक अरेस्ट, (जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। मस्तिष्क और अन्य अंगों में रक्त के प्रवाह में कमी के कारण व्यक्ति बेहोश हो सकता है) ऐसे समय तेज छाती संपीड़न के साथ सीपीआर शुरू करने की सलाह डाक्टर देते हंै। उन्होंने बताया कि सीपीआर से पहले देखे कि पीड़ित की नाड़ी और सांस चल रही है। यदि 10 सेकंड के भीतर कोई नाड़ी या सांस नहीं चल रही है, तो छाती को दबाना शुरू करें। दो बचाव साँसें देने से पहले छाती को 30 बार दबाने के साथ सीपीआर शुरू करना चाहिये। प्रति मिनट 100 से 120 की दर से छाती को दबाएं।

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