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धरती के गार्जियन बनें मालिक नहीं - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


गुड एयर ई समिट का शुभारम्भ समर्थनम् फाउंडेशन के बच्चों ने सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्जवलित कर किया। सीईओ आईएचडब्ल्यू काउंसिल, कमल नारायण जी ने गुड एयर समिट के विषय में जानकारी देते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सभी पैनलिस्ट का स्वागत किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

गुड एयर ई-समिट के प्रख्यात पैनलिस्ट परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष एवं ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भारत सरकार प्रकाश जावडे़कर , माननीय जस्टिस, फॉर्मर चेयर पर्सन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, एंड फॉर्मर जज सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, स्वतंत्र कुमार, अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, एक्टर, प्रोड्यूसर, यू एन एनवायरमेंट गुडविल एम्बेसडर, यूनाइटेड नेशन सेक्रेटरी जनरल एडवोकेट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स, श्रीमती दीया मिर्जा जी, डायरेक्टर जनरल एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट श्री अजय माथुर, वालेंटाइन फोलतेसक, क्लाइमेट एंड क्लीन एयर कोएलिशन सेक्रेटेरिएट यूनाइटेड नेशन, डायरेक्टर एम्स नई दिल्ली, मेंबर एडवाइजरी बोर्ड, गुड एयर मूवमेंट डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, सीईओ आईएचडब्ल्यू काउंसिल, श्री कमल नारायण और विख्यात पैनलिस्ट ने क्लाइमेंट चेंज और वायु प्रदूषण पर प्रभावकारी उद्बोधन और सुझाव दिये। ऋषिकेश, 10 नवम्बर। गुड एयर ई समिट का शुभारम्भ समर्थनम् फाउंडेशन के बच्चों ने सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्जवलित कर किया। सीईओ आईएचडब्ल्यू काउंसिल, श्री कमल नारायण जी ने गुड एयर समिट के विषय में जानकारी देते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सभी पैनलिस्ट का स्वागत किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जल और वायु धरती पर रहने वाले प्राणियों की जरूरत ही नहीं बल्कि फन्डामेंटल राइट है। हमारे पास प्लान ए और प्लान बी है परन्तु प्लानेट केवल एक है। इसलिये ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर, ग्रीन कल्चर और नये कल्चर की ओर बढ़ना होगा और इसके लिये अपने को चार्ज करना होगा और चेंज करना होगा। हमें धरती का गार्जियन बनना होगा मालिक नहीं। स्वामी जी ने कहा कि वायु प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसका निदान न अकेले सरकार कर सकती है और न समाज। इसकी मुक्ति का एक ही मार्ग है- समन्वित प्रयत्न, सह-अस्तित्व, सहभागिता, जागरूकता, जिम्मेदारी और जवाबदेही। यदि प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ हवा चाहिये तो अपने स्तर पर हर व्यक्ति को योगदान भी करना होगा। प्रकृति से सह-अस्तित्व का मार्ग अपनाना होगा ताकि जो हमें प्राप्त हुआ, वह शुद्धता और स्वच्छता का वातावरण हमारी आने वाली पीढियों को भी प्राप्त हो सके, इसके लिये हम सभी को अपने-अपने स्तर पर उपाय करने होंगे क्योकि हम ही हंै इस समस्या का समाधान भी।

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