मà¥à¤à¥‡ यह कहने में कोई आपतà¥à¤¤à¤¿ नही कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ का मीडिया आज à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ दौर से गà¥à¤œà¤° रहा है जहाठपर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ खतà¥à¤® हो रहा है। यूठतो समाज का हर वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ या कारà¥à¤¯à¤•à¤²à¤¾à¤ª à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ की बदौलत ही संà¤à¤µ हो पाता है |
रिपोर्ट - सचिन तिवारी
मà¥à¤à¥‡ यह कहने में कोई आपतà¥à¤¤à¤¿ नही कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ का मीडिया आज à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ दौर से गà¥à¤œà¤° रहा है जहाठपर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ खतà¥à¤® हो रहा है। यूठतो समाज का हर वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ या कारà¥à¤¯à¤•à¤²à¤¾à¤ª à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ की बदौलत ही संà¤à¤µ हो पाता है लेकिन समाचार माधà¥à¤¯à¤® तो à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ धंधा है जिसमें आपकी विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ ही आपकी पूंजी होती है। लोकतंतà¥à¤° का चौथा सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ इसको यूठही नहीं कहा गया है। अपने बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ होने के सामंती घमंड मे चूर कोई मीडिया वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€ आपकी बात सà¥à¤¨à¥‡à¤—ा कà¥à¤¯à¥‚ à¤à¤²à¤¾? सीधी सी बात है की कड़े कानूनों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही इनको नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने की ज़रà¥à¤°à¤¤ है। आप सोचिये सिनेमा à¤à¤• कथातà¥à¤®à¤• माधà¥à¤¯à¤® है। वो कà¤à¥€ à¤à¥€ आपको जगाने का दावा नहीं करतो। लेकिन सेंसर के कठिन दौर से उसको गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़ता है। तो आखिर इन समाचार वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ ने कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤£à¥à¤¯ कर लिया है की इनको सà¥à¤µ-नियंतà¥à¤°à¤£ की आजादी चाहिये। संविधान में कही à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤¸ के लिये कोई विशेषाधिकार का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ नहीं है। उसके अनà¥à¤šà¥à¤›à¥‡à¤¦ 19 में जो वाक à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का अधिकार है वो आम लोगों को दिया गया मौलिक अधिकार है। पà¥à¤°à¥‡à¤¸ à¤à¥€ उसी का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर ‘अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के खतरे’ उठाने का उपरोकà¥à¤¤ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ ढोंग कर रहा है। लेकिन उस अधिकार का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करते हà¥à¤ उसी अनà¥à¤šà¥à¤›à¥‡à¤¦ मे वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ ढेर सारे पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धों को नजरंदाज कर जाना आज की बड़ी समसà¥à¤¯à¤¾ हो गयी है। सीधी सी बात है कि आप वही तक सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हैं जहां तक किसी दूसरे की आजादी का हनन ना होता हो। लेकिन मीडिया दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नागरिको को मिले इस अधिकार को जबरन हथिया लिये जाने के कारण तो कई बार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीने के मौलिक अधिकार का ही उलà¥à¤²à¤‚घन हो जाता है। आप गौर करें मीडिया के अलावा समाज का कोई à¤à¥€ अनà¥à¤·à¤‚ग à¤à¤¸à¤¾ नहीं है जिसको काबू में करने का इंतजाम ना किया गया हो। लेकिन पà¥à¤°à¥‡à¤¸ हर तरह के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धो से मà¥à¤•à¥à¤¤ है,सà¥à¤µà¤›à¤¨à¥à¤¦ है। जब à¤à¥€ उसके नियमन के लिये किसी à¤à¥€ तरह का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाता है तो सारे के सारे समà¥à¤¬à¤‚धित लोग à¤à¤• साथ गिरोहबंदी कर लेते हैं और सà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤¯à¤‚तà¥à¤°à¤£ का राग अलापना शà¥à¤°à¥‚ कर देते हैं। आखिर सà¥à¤µ-नियंतà¥à¤°à¤£ की आजादी तो देवताओं को à¤à¥€ नसीब नहीं है। तो मीडिया को ही यह विशेषाधिकार कà¥à¤¯à¥‚à¤? ना तो नेताओं की तरह इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हर 5 साल पर या कई बार उससे पहले à¤à¥€ लोगों से अपनी मà¥à¤¹à¤° लगवानी होती है,ना ही उनकी तरह उसका हर कदम नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• समीकà¥à¤·à¤¾ के दायरे मे à¤à¥€ होता है। तो आखिर आप ही अपवाद कà¥à¤¯à¥‚ रहे? रामायण में गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने लिखा “समरथ को नहीं दोष गà¥à¤¸à¤¾à¤ˆâ€ आखिर इतना सामरà¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ आपको कà¥à¤¯à¥‚ बना दिया जाठकि आपको खà¥à¤¦ का दोष दिखाई ही ना दे? अब यह समय आ गया है कि समाज और मीडिया में दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ होते जा रहे तकनीकी और नैतिक परिवरà¥à¤¤à¤¨ के मदà¥à¤¦à¥‡à¤¨à¤œà¤± à¤à¤• नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• अधिकार पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ निकाय का गठन किया जाये। निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही ईमानदार लोगों को à¤à¤¸à¥‡ इंतजाम से कोई तकलीफ नहीं होगी। लेकिन “दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¦à¤¾à¤°â€ किनारे होते जायेंगे और मीडिया फिर से अपने जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª में खà¥à¤¦ को पेश कर पायेगा।