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05 वर्ष की सजा एवं रुपये एक लाख का अर्थदंड अथवा दोनों आरोपित किये जायें लेकिन जिमेदार अधिकारियों ने इस आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है


एनजीटी के आदेशों का उलंघन होने पर रुपये 50 हजार की पर्यावरण क्षतिपूर्ति आरोपित करते हुए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के तहत 05 वर्ष की सजा एवं रुपये एक लाख का अर्थदंड अथवा दोनों आरोपित किये जायें लेकिन जिमेदार अधिकारियों ने इस आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है जिसका लाभ उठाकर लोग लगातर गँगा को प्रदूषित कर रहे हैं।

रिपोर्ट  - à¤…जय शर्मा

हरिद्वार(अजय शर्मा) गँगा आपने ही उद्गम स्थल में सुरक्षित नहीं है माँ गँगा को प्रदूषण मुक्त करने हेतु भले ही आये दिन एनजीटी,राष्ट्रीय स्वच्छ गँगा मिशन जल सक्ति मंत्रालय भारत सरकार के साथ उत्तराखंड सरकार आदेश पारित कर रही हो लेकिन पारित आदेश जिम्मेदार अधिकारियों के कोई मायने नहीं रखते यही बजह है कि देवभूमि में लोग आस्था के नाम पर नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाकर हजारों की तादात में केमिकल युक्त मूर्तियों के साथ भारी मात्रा में पूजा सामग्री लगातार गँगा में विसर्जित कर रहे हैं जिससे गँगा लगातार प्रदूषित हो रही है और जिमेदार अधिकारी गहरी नींद में सो रहे हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार के प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण ने शासनादेश जारी कर जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये थे कि त्यौहारी सीजन के दृष्टिगत जल निकायों में पूजा सामग्री, मूर्ति व अन्य धार्मिक चढ़ावे के विसर्जन पर कड़ाई से रोक लगाई जाए और यदि कोई व्यक्ति आदेश का उलंघन करता है तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही करते हुए एनजीटी के आदेशों का उलंघन होने पर रुपये 50 हजार की पर्यावरण क्षतिपूर्ति आरोपित करते हुए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के तहत 05 वर्ष की सजा एवं रुपये एक लाख का अर्थदंड अथवा दोनों आरोपित किये जायें लेकिन जिमेदार अधिकारियों ने इस आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है जिसका लाभ उठाकर लोग लगातर गँगा को प्रदूषित कर रहे हैं।

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