सितंबर पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• किया जाने वाला धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ कहलाता है। पितà¥à¤° पकà¥à¤· में अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ करने के लिठशà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
रिपोर्ट - विकास शरà¥à¤®à¤¾
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°( विकास शरà¥à¤®à¤¾) 20 सितंबर पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• किया जाने वाला धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ कहलाता है। पितà¥à¤° पकà¥à¤· में अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ करने के लिठशà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि पितृपकà¥à¤· शà¥à¤°à¥‚ होते ही हमारे पूरà¥à¤µà¤œ पृथà¥à¤µà¥€ पर आते हैं। पितरों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने का महापरà¥à¤µ पितृपकà¥à¤· 20 सितंबर दिन सोमवार आज से 6 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर तक मनाया जाà¤à¤—ा। इस दौरान पितरों के लिठकई à¤à¤¸à¥‡ धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯ और उपाय किठजाते हैं जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ कर करके हमें उनका आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिलाने में सहायक होते हैं। देश के कई पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² जैसे हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज, गया आदि में जाकर पिंड दान करने से पितृ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होते हैं। इस पितà¥à¤° पकà¥à¤· में कà¥à¤› बातों का विशेष खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखा जाता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ पितृ नाराज हो जाते हैं जो पितà¥à¤° दोष का कारण बनता है। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ इस पितà¥à¤° दोष का वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है। जिसका सीधा अरà¥à¤¥ पितरों की नाराजगी से है। पितृदोष के चलते वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि जो लोग पितृपकà¥à¤· के दौरान अपने पितरों का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं करते उनके निमितà¥à¤¤ तिल, कà¥à¤¶à¤¾, जल के साथ दान आदि नहीं करते उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नाराज कर देते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह दोष लग जाता है। इसी तरह जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ या बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अपमान करता है या फिर उनके लिठअपमानजनक शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करता है उसे à¤à¥€ यह पितà¥à¤° दोष लगता है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि पितृपकà¥à¤· में पूरà¥à¤µà¤œ किसी à¤à¥€ रूप में घर में विराजमान हो जाते हैं। इसीलिठकिसी à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने मन में बà¥à¤°à¥‡ विचार ना लाà¤à¤‚ और ना उनका अपमान करें। सनातन परंपरा में पितरों के लिठकिठजाने वाले शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ का बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ है सà¥à¤•à¤‚द पà¥à¤°à¤¾à¤£ के केदारखंड के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करने वाले को संतान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। "शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ परम यश" यानी शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ से परम आनंद और यश की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करने से सà¥à¤µà¤°à¥à¤— है मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो जाती है।