शà¥à¤°à¥€ साधॠगरीबदासी सेवा आशà¥à¤°à¤® टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ में शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा का आयोजन किया गया। इस दौरान आशà¥à¤°à¤® से लेकर मायापà¥à¤° घाट तक à¤à¤µà¥à¤¯ कलश शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ निकाली गई।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 9 नवमà¥à¤¬à¤°à¥¤ शà¥à¤°à¥€ साधॠगरीबदासी सेवा आशà¥à¤°à¤® टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ में शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा का आयोजन किया गया। इस दौरान आशà¥à¤°à¤® से लेकर मायापà¥à¤° घाट तक à¤à¤µà¥à¤¯ कलश शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ निकाली गई। जिसमें दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ महिला शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं ने à¤à¤¾à¤— लिया। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को कथा का रसपान कराते हà¥à¤ कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत मां गंगा की à¤à¤¾à¤‚ति बहने वाली जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की अविरल धारा है। जिसे जितना गà¥à¤°à¤¹à¤£ करो उतनी ही जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ बà¥à¤¤à¥€ है और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सतà¥à¤¸à¤‚ग से अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वत कथा के शà¥à¤°à¤µà¤£ से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जनà¥à¤® जनà¥à¤®à¤¾à¤‚तर के पापों का शमन हो जाता है और उसका जीवन सदैव उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° रहता है। महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा के शà¥à¤°à¤µà¤£ से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के उतà¥à¤¤à¤® चरितà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का जीवन à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र से पार लगाती है और उसके मन से मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ मिटाकर उसके बैकà¥à¤‚ठका मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ करती है। सà¤à¥€ को समय निकालकर शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ अवशà¥à¤¯ करना चाहिà¤à¥¤ महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामेशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤‚द सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिहरानंद महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र की वैतरणी है। जिसके शà¥à¤°à¤µà¤£ से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अंतःकरण की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ होती है। देवà¤à¥‚मि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड की पावन धरा पर और मां गंगा के तट पर कथा शà¥à¤°à¤µà¤£ का अवसर सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। डा.पदम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ सà¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ ने कथा में पधारे सà¤à¥€ संत महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का फूल माला पहनाकर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और कहा कि जिस जगह पर शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा का आयोजन हो और संत महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का सानिधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो। वह सà¥à¤¥à¤² सदैव के लिठतीरà¥à¤¥ हो जाता है। कथा के मà¥à¤–à¥à¤¯ यजमान रमेश लूथरा, कमलेश लूथरा, राजीव बहेल, रितॠबहेल, केके बहेल, विकà¥à¤°à¤® लूथरा, सà¥à¤—ंधा लूथरा ने कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का फूलमाला पहनाकर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और सà¤à¥€ संतों से आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। इस अवसर पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¤‚द शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ अनंतानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ योगेंदà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, महंत शिवानंद, महंत कृषà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤‚द, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दिनेश दास, समाजसेवी संजय वरà¥à¤®à¤¾, अनिल पà¥à¤°à¥€ आदि उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे।