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बच्चों के बेहतर भविष्य के लिये सिंगल यूज प्लास्टिक को करें बाय-बाय स्वामी चिदानन्द सरस्वती


अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर ऋषिकेश शहर के चार समुदाय काले की ढ़ाल, चन्द्रेश्वर नगर, मायाकुण्ड और गोविन्द नगर के बच्चों ने परमार्थ निकेेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी जी और साध्वी जी के पावन सान्निध्य में बच्चों ने वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी कर जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग का संकल्प लिया ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सके।

रिपोर्ट  - à¤†à¤² न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 20 नवम्बर। आज अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर ऋषिकेश शहर के चार समुदाय काले की ढ़ाल, चन्द्रेश्वर नगर, मायाकुण्ड और गोविन्द नगर के बच्चों ने परमार्थ निकेेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी जी और साध्वी जी के पावन सान्निध्य में बच्चों ने वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी कर जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग का संकल्प लिया ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सके। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हम जिस प्रकार की दुनिया बनाना चाहते है वैसी ही सोच, संस्कृति और संस्कार हमें बच्चों में रोपित करना होगा। अगर हम एक स्वच्छ, सुरक्षित, शान्तिपूर्ण और बेहतर दुनिया चाहते है तो हमें ़आज से ही उसके लिये प्रयत्न करना होगा। प्रत्येक बच्चे को स्वच्छ, सुरक्षित तथा न्यायपूर्ण वातावरण उपलब्ध हो सके इसके लिये समाज के प्रत्येक व्यक्ति को प्रयत्न करना होगा। बच्चों को ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उचित पोषण, स्वच्छ और शुद्ध वातावरण, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ उनका सर्वांगीण विकास करना नितांत आवश्यक है। स्वामी जी ने दुनिया भर के बच्चों का आह्वान करते हुये कहा कि आज की पीढ़ी को अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण के विषय में भी जागरूक होना होगा। बच्चों का भौतिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास भी अति आवश्यक है। परमार्थ निकेतन में जीवन कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से इन बच्चों को उनके शारीरिक विकास के बारे में जानकारी देने के साथ मानसिक और आध्यात्मिक विकास हेतु प्रतिमाह शिविरों का आयोजन किया जा रहा है जिसके माध्यम से उन बच्चों को स्वयं के साथ अपने समुदाय, समाज और समष्टि में कैसे सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं इस हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है। बच्चों को जीवन कौशल पाठ्यक्रम के साथ पर्यावरण संरक्षण और जीवन मूल्यों का ज्ञान भी दिया जा रहा हैं। उन्हें आपसी एकता को बढ़ाने, अपने जल स्रोतों के प्रति जागरूक होने और जीवन शैली में सुधार के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। स्वामी जी ने कहा कि हम प्रकृति के शोषक नहीं पोषक बनें, हमें अपने जीवन और अपनी आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ और समृद्ध बनाने के लिये वृक्षारोपण, वृक्षों का संवर्द्धन और संरक्षण बहुत जरूरी है क्योंकि जब पृथ्वी पर पेड़ होंगे; पेड़ होंगे तो पानी होगा और पानी होगा तो ही जीवन होगा। पेड़ है तो पानी है, पानी है तो जीवन है और जीवन हैं तो दुनियाँ है इसलिये मिलकर अपनी धरती माता की सुरक्षा के लिये कार्य करें। स्वामी जी ने बच्चों को प्रकृति की सम्पन्न्ता और समृद्धि हेतु संकल्प कराया।

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