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स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत के मार्गदर्शन में हुए आरोग्य मंथन और आरोग्य संवाद का सफल आयोजन


बीते 25 दिसंबर को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा संचालित राज्य सरकार की आयुष्मान योजना को तीन साल पूरे हो गए हैं। गुजरे तीन सालों में कुल जमा जो आंकड़ा सामने आया है निसंदेह ही वह योजना की अपेक्षित सफलता की सुखद कहानी बयां कर रहा है। और आए दिन आ रहे लाभार्थियों के फीडबैक जनकल्याण के वास्तविक मायनों भी समझा रहे हैं।

रिपोर्ट  - à¤†à¤² न्यूज भारत

देहरादूनः (राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण) बीते 25 दिसंबर को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा संचालित राज्य सरकार की आयुष्मान योजना को तीन साल पूरे हो गए हैं। गुजरे तीन सालों में कुल जमा जो आंकड़ा सामने आया है निसंदेह ही वह योजना की अपेक्षित सफलता की सुखद कहानी बयां कर रहा है। और आए दिन आ रहे लाभार्थियों के फीडबैक जनकल्याण के वास्तविक मायनों भी समझा रहे हैं। प्रदेश में 25 दिसंबर 2018 को अटल आयुष्मान योजना का शुभारंभ हुआ था। आयुष्मान भारत योजना से इतर राज्य में बीपीएल, एपीएल से लेकर सरकारी व गैर सरकारी, बेरोजगार, महिला पुरूष, बच्चे जवान बुजुर्गों यानी सबके लिए मुफ्त उपचार की व्यवस्था इस योजना के अंतर्गत रखी गई। किसी भी योजना के संचालन में पूर्व में बेशक कुछ दिक्कतें जरूर आती हैं लेकिन मात्र तीन साल की समयावधि में प्रदेश में आयुष्मान योजना ने जो रफ्तार पकड़ी है वह काबिलेगौर तो है ही प्रशंसनीय भी है। हर आय वर्ग के लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है। सुखद है किं 28 दिसंबर 2021 तक 3.98 लाख बार मरीज योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त उपचार ले चुके हैं। जिस पर 5.78 अरब की धनराशि खर्च हो चुकी है। प्रदेश में मैदानी और पहाड़ी मिलाकर कुल 13 जनपद हैं। पहाड़ी जनपदों के कर्इ्र गांव तो अतिदुर्गम हैं जहां सूचनाओं तक का पहुंचना आज भी आसान नहीं हैं। लेकिन आज सच यह है कि प्रदेश में अब शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां आयुष्मान योजना का लाभ या जानकारी न पहुंची हो। सोशल मीडिया के जरिए भी योजना के लाभ की जानकारियां मैदान छोड़ सुदूरवर्ती गावों से लेकर उत्तंग शिखरों के बीच बसे वासिंदों तक भी आसानी से पहुंची हैं। योजना को लेकर आम जन की सक्रियता इस बात का प्रमाण है। योजना का संचालन कर रहे राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से भी सूचीबद्ध अस्पतालों की मॉनिटरिंग के साथ ही कार्ड धारकों को समुचित सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अपेक्षित प्रयास भी अनवरत जारी हैं। मुफ्त में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिली तो कार्ड बनाने को लेकर भी लोगों में आकर्षण बढ़ना स्वाभाविक है। एक लाभार्थी अब दूसरे आमजन के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। अभी तक प्रदेश में 45.52 लाख कार्ड धारक हैं, और यह आंकड़ा दिनों दिन बढ़ ही रहा है। लाभार्थियों के फीडबैक से साफ है कि सामान्य जरूरतें तो एडजस्ट की जा सकती हैं लेकिन जब मुसीबत जान पर बन आई हो तो वहां एडजस्टमेंट की गुंजाइश नहीं रहती। आयुष्मान योजना कईयों को मौत के मुहं से बचाया है। खासतौर पर जरूरतमंदों को तो आयुष्मान योजना ने नया जीवन देने का काम किया है।

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