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हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच रोमानिया बार्डर पहुंचे छात्र, खाने का भी संकट


यहां जिंदगी सहमी हुई है मकानों के कमरों में कैद है। बेसमेंट बचाव का सहारा बने है। खाने-पीने का संकट ने भी चिंता को ओर ज्यादा बड़ा कर दिया है। रोमानिया बार्डर देश लौटने की उम्मीद की एक किरण है। इसी के साथ अब छात्रों ने लक्ष्य रोमानिया बनाया है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

यूक्रेन के हालत भयावह है। यहां जिंदगी सहमी हुई है मकानों के कमरों में कैद है। बेसमेंट बचाव का सहारा बने है। खाने-पीने का संकट ने भी चिंता को ओर ज्यादा बड़ा कर दिया है। रोमानिया बार्डर देश लौटने की उम्मीद की एक किरण है। इसी के साथ अब छात्रों ने लक्ष्य रोमानिया बनाया है। तेजी के साथ बार्डर की ओर बढ़ते ही जा रहे है। कुछ छात्र वहां पहुंच भी गए है। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र-छात्राओं की हालत बहुत खराब है। खाने-पीने का संकट गहरा गया। सर्दी से भी छात्र कमजोरी महसूस कर रहे है। बागपत में एसीएमओ डा. गजेंद्र सिंह के पुत्र मनीष सिंह रोमानिया बार्डर पर पहुंच गए है। यहां हमले से भी बुरे हालत है। किसी को भी बोर्डर से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर है। दोस्तों के खानी-पीने की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। सर्दी से बचाव के लिए टीनशेड भी नहीं है। माइनस से भी कम वाली ठंड में छात्रों ने रात काटी है। वहीं बड़ागांव निवासी छात्रा निहारिका त्यागी अपनी दोस्त आशा तोमर बड़ौत और अन्य साथियों के साथ रोमानिया पहुंच गई। यूक्रेन रोमानिया बार्डर पर फोटो लेते समय कुछ भारतीयों के मोबाइल सैनिकों ने तोड़ दिए। रात में तापमान एक से कम होने के कारण परेशानी उठानी पड़ी। खाद्य सामग्री की परेशानी भी बनती जा रही है। उधर, अनुष्का ढाका अपने साथियों के साथ यूक्रेन के ओडेसा शहर से रोमनिया के लिए ट्रेन में सवार होकर रोमानिया की ओर बढ़ती जा रही है। ट्रेन में सवार छात्रों ने लक्ष्य अब रोमानिया बनाया हुआ है।

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