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यूक्रेन में फंसे छात्रों की ऐसेे बीत रही जिंदगी, माइनस दो तापमान, बंकर्स में कंबल में गुजर रही रात


यूक्रेन फंसे मेडिकल के छात्रों की हालत लगातार खराब होती जा रही है। उन तक राहत नहीं पहुंच पा रही है। वे सिर्फ मैसेज और वीडियो काल के माध्यम से मदद की गुहार कर रहे हैं। दूतावास तक उनकी बात नहीं पहुंच पा रही है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

यूक्रेन फंसे मेडिकल के छात्रों की हालत लगातार खराब होती जा रही है। उन तक राहत नहीं पहुंच पा रही है। वे सिर्फ मैसेज और वीडियो काल के माध्यम से मदद की गुहार कर रहे हैं। दूतावास तक उनकी बात नहीं पहुंच पा रही है। एक छात्र ने वीडियो भेजकर वहां के हालात बयां किए हैं। उसका कहना है कि हम बंकर्स में हैं। वहां पर माइनस दो डिग्री तापमान है। कंबल में ही दिन रात गुजारनी पड़ रही है। सादाबाद क्षेत्र के 10 छात्र-छात्राएं वहां फंसे हुए हैं। उनके माता-पिता के चेहरे पर ङ्क्षचता की लकीरें खेती चली जा रही है। यह सभी लोग ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि उनके ब'चों को सकुशल उनके पास पहुंचा दें इनके माता-पिता ने बताया कि ब'चों से लगातार बातचीत हो रही है, जिससे वह संतुष्ट हैं लेकिन वह अपने बच्‍चों को अपने पास ही देखना चाहते हैं। वहीं प्रशासन और शासन की ओर से हेल्पलाइन नंबर जारी करने के अलावा वेबसाइट भी जारी की है। दक्ष चौधरी ने अपने पिता को बताया कि स्थिति बहुत भयावह होती जा रही है। धीरे-धीरे खाने पीने की किल्लत पैदा हो रही है। पूर्वी छोर पर हैं जबकि पश्चिमी छोर के ब'चों को स्वदेश पहुंचाया जा रहा है। सरकार इस बारे में सोचें कि आखिरकार पूर्वी छोर के ब'चों को किस प्रकार से स्वदेश लाया जाएगा। दक्ष चौधरी के पिता बता रहे हैं कि हालांकि उनका बेटा उनको तसल्ली दे रहा है लेकिन वहां की स्थिति को देखते हुए अब उनको तसल्ली नहीं हो रही। अब वे चाहते हैं कि किसी भी तरह से उनका बेटा उनके पास आ जाए तभी उनको चैन आ पाएगा। शिवानी गुप्ता के पिता दिनेश चंद गुप्ता का कहना है कि जब देश के अन्य ब'चे आ रहे हैं तो आखिर उनके ब'चों हो किस प्रकार नहीं लाया जा रहा यह समझ से परे है|

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