देवभूमि उत्तराखंड में माफिया बेखौफ होकर अपने कार्यों को अंजाम दे रहे हैं इन्हें ना तो कानून का डर है और ना ही पुलिस का कोई भय यही कारण है की माफिया सरेआम पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी /कर्मियों पर भी जानलेवा हमला रहे हैं. ताजा उदाहरण प्रदेश की राजधानी देहरादून का है यहां अवैध खनन की सूचना पर पहुंचे पुलिसकर्मी पर खनन माफिया ने ट्रैक्टर ट्रॉली चढ़ा दी और उसे मारने का प्रयास किया पीड़ित पुलिसकर्मी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है.
रिपोर्ट - अजय शर्मा
हरिद्वार,: देवभूमि उत्तराखंड में माफिया बेखौफ होकर अपने कार्यों को अंजाम दे रहे हैं इन्हें ना तो कानून का डर है और ना ही पुलिस का कोई भय यही कारण है की माफिया सरेआम पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी /कर्मियों पर भी जानलेवा हमला रहे हैं. ताजा उदाहरण प्रदेश की राजधानी देहरादून का है यहां अवैध खनन की सूचना पर पहुंचे पुलिसकर्मी पर खनन माफिया ने ट्रैक्टर ट्रॉली चढ़ा दी और उसे मारने का प्रयास किया पीड़ित पुलिसकर्मी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस प्रकरण पर गंभीर नजर आ रहे हैं उन्होंने इस संबंध में पुलिस महानिदेशक को तलब कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए. अब हम बात करते हैं देवभूमि के प्रथम द्वार हरिद्वार की यहां 18 जनवरी 2023 को संत बाहुल्य क्षेत्र भूपतवाला में दिनदहाड़े कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा कर "सत्संग आश्रम"पर कब्जा करने का प्रयास किया गया आश्रम में डकैती मारपीट जैसी गंभीर घटना को अंजाम दिया गया लेकिन पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर कोई कार्रवाई नहीं की पीड़ित महिला और उसके पति पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे और पुलिस समझौते का दबाब बनाती रही., 3 जनवरी 2023 को मजबूरन पुलिस पीड़ित की शिकायत और साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा तो पंजीकृत कर लिया लेकिन आज तक पुलिस नामजद आरोपियों और उनके सहयोगीयो तक नहीं पहुंच पाई? हरिद्वार के कनखल में"श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा के मुख्यालय पर 100 से अधिक लोग कब्जा करने का प्रयास करते हैं यहां तक की अखाड़ा प्रमुख को बंधक बनाने का प्रयास भी किया जाता है लेकिन इसके बाद भी पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं करती और पीड़ित पक्ष जब माननीय न्यायालय की शरण में जाता है और माननीय न्यायालय के आदेश के क्रम में पुलिस मुकदमा तो दर्ज कर लेती है लेकिन किसी भी आरोपी को पकड़ नहीं पाती इतना ही नहीं माननीय न्यायालय के गैर जमानती वारंट के बाद भी मित्र पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाती ऐसा क्यों?