उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड में बेहद मनमाने ढंग से यूजीसी के नियमों को ताक में रखते हुए प्राध्यापकों को वित्तीय लाभ पहुंचाने एवं सरकार को लाखों करोड़ों का वित्तीय नुकसान पहुंचाने का कार्य जोरों से चल रहा है
रिपोर्ट - ऑल न्यूज़ ब्यूरो
उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड में बेहद मनमाने ढंग से यूजीसी के नियमों को ताक में रखते हुए प्राध्यापकों को वित्तीय लाभ पहुंचाने एवं सरकार को लाखों करोड़ों का वित्तीय नुकसान पहुंचाने का कार्य जोरों से चल रहा है उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड के भ्रष्ट अधिकारियों को कोई यह नियम समझाएं कि जब समस्त अध्यापकों को वेतन स्केल यूजीसी के नियमों से प्राप्त होता है तब अन्य प्रमोशन एवं वित्तीय लाभ भी यूजीसी के नियमों से ही मिलने चाहिए इस पर निदेशालय अपने ही नियमों को मनमाने ढंग से चला रहा है और कोई भी इसकी सुध लेने वाला नहीं है। इससे पहले भी खबर के माध्यम से उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड के विषय में सरकार को अवगत कराया था कि कैरियर एडवांसमेंट के अंतर्गत कुछ प्राध्यापकों को नियम के विरुद्ध प्रमोशन देकर लाखों रुपयों का एरियर दिया जा रहा है परंतु कोई भी सुध लेने वाला नहीं है। जैसा कि इससे पूर्व भी हमने खबर के माध्यम से उजागर किया था कि यूजीसी 2018 रेगुलेशन के आधार पर समस्त प्राध्यापकों को प्रमोशन दिए गए परंतु अंदरखाने निदेशालय के भ्रष्ट अधिकारी कुछ प्राध्यापकों को पुराने रेगुलेशन से प्रमोशन देते हुए लाखों रुपयों के एरियर के रूप में उनको फायदा पहुंचा रहे हैं । विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के अंतर्गत लगभग 40 अन्य प्राध्यापकों के प्रमोशन के आवेदन भी उनके मानक पूरे ना करने के कारण निरस्त हो गए तथा यह मानक यूजीसी के नियमावली के आधार पर तय किए गए हैं परंतु निदेशालय के भ्रष्ट अधिकारी प्राध्यापकों को वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए यूजीसी के नियमों को ताक में रखकर उनके मानकों को अपने ढंग से सुनियोजित कर कई वर्षों पूर्व का लाभ उनको एरियर के रूप में देने के लिए मन बना चुके हैं । मुख्य रूप से इस संपूर्ण प्रक्रिया में कैरियर एडवांसमेंट के अंतर्गत प्रमोशन में एवं प्राध्यापकों को जो वेतन स्केल दिया जाता है वह यूजीसी के मानकों पर दिया जाता है परंतु निदेशालय स्तर पर भ्रष्ट अधिकारी इन नियमों में फेरबदल कर प्राध्यापकों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं जिससे उनको लाखों रुपए एरियर के रूप में प्राप्त होंगे और सरकार को लाखों करोड़ों का वित्तीय नुकसान सहना पड़ेगा परंतु सरकारी तंत्र इस विषय पर पूर्ण रूप से कोई जांच कर ही नहीं रहा है और निदेशालय स्तर पर मनमाने ढंग से कार्य हो रहा है। शासन-प्रशासन केवल निदेशालय स्तर पर इस विषय पर विशेष रूप से जांच करा सकता है कि जब सरकारी कॉलेजों में सभी नियम यूजीसी के आधार पर चलाए जाते हैं तब प्राध्यापकों के फायदे के समय इन नियमों को क्यों ताक पर रखा जाता है अगर प्राध्यापकों को यूजीसी के मानकों के आधार पर प्रमोशन दिया जाए तो लाखों नहीं करोड़ों रुपयों का एरियर जो प्राध्यापकों को देने की मुहिम निदेशालय चला रहा है समाप्त किया जा सकता है इस विषय पर सरकार और प्रशासन कब तक मौन बैठा रहेगा और निदेशालय स्तर पर भ्रष्ट अधिकारी मनमाने ढंग से प्राध्यापकों के प्रमोशन में उनको वित्तीय लाभ पहुंचाते रहेंगे।