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आगे बढ़ने के लिए चुनौती स्वीकारें : दुर्गाशंकर मिश्र


उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि हरेक व्यक्ति, समाज, व राष्ट्र को सफल होने के लिए चुनौती स्वीकार करना पड़ेगा। जिस तरह विद्यार्थी पढ़ाई की चुनौती स्वीकार करता है, तो उन्हें अनेक उपाधियाँ प्राप्त होती है। इसी तरह डॉक्टर्स, वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी चुनौती स्वीकारते हैं, तभी वह अपने दायित्वों को पूरा कर पाते हैं। सफल हो पाते हैं।

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

हरिद्वार 29 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि हरेक व्यक्ति, समाज, व राष्ट्र को सफल होने के लिए चुनौती स्वीकार करना पड़ेगा। जिस तरह विद्यार्थी पढ़ाई की चुनौती स्वीकार करता है, तो उन्हें अनेक उपाधियाँ प्राप्त होती है। इसी तरह डॉक्टर्स, वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी चुनौती स्वीकारते हैं, तभी वह अपने दायित्वों को पूरा कर पाते हैं। सफल हो पाते हैं। वे देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में भारतीय परंपरा के अनुरूप प्रशासनिक व्यवस्था विषय पर आयोजित व्याख्यान माला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से अब तक प्रशासन एवं सरकारें जितनी सफलताएँ पाई हैं, उनमें चुनौतियाँ ही रही हैं। स्वच्छ भारत हो, राष्ट्र को सभ्य एवं विकसित करने के अभियान हो, सभी में अपनी-अपनी तरह की चुनौतियाँ थी, उन चुनौतियों को संकल्प शक्ति से सफलता में परिवर्तित किये। मुख्य सचिव मिश्र ने कहा कि भगवान श्रीराम, लीला पुरुष श्रीकृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि भी चुनौतियों को स्वीकारते हुए सफल हुए। युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने अपने समय की कठिनाइयों को भेदते हुए युग निर्माण अभियान को गति दिया और आज कई देशों में इसकी गुंज सुनाई देती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप प्रशासनिक व्यवस्था से ही भारत विश्व को नेतृत्व दे पायेगा, जो इस दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह अमृत काल है और इस समय सभी को अपनी क्षमता, प्रतिभा समाज, राष्ट्र के विकास में अवश्य लगाना चाहिए। इससे पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भारत की भूमि में ऐसे अनेक संत हुए हैं, जिन्होंने देश और विदेश में भारतीय संस्कृति को पहुंचाया है। अध्यात्म के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार के समकक्ष टेम्पल्टन पुरस्कार की ज्यूरी के मेंबर डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने प्राचीनकाल से लेकर अब तक भारतीय परंपरा में समाज में स्थापित प्रशासनिक व्यवस्था पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र जी को युग साहित्य, स्मृति चिह्न एवं गायत्री मंत्र उपवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया।

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