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अखिल भारतीय वेद विज्ञान सम्मेलन-2023


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय वेद विज्ञान सम्मेलन में सहभाग कर डिजिटल इन्डिया के साथ डिवाइन इन्डिया का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इन दो दिनों में सभी ने वेदों को जाना, माना और जिया, सुना और सीखा। अब समय आ गया है कि हमारे जवानों को भी यही दिशा प्रदान करें।

रिपोर्ट  - ऑल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 30 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय वेद विज्ञान सम्मेलन में सहभाग कर डिजिटल इन्डिया के साथ डिवाइन इन्डिया का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इन दो दिनों में सभी ने वेदों को जाना, माना और जिया, सुना और सीखा। अब समय आ गया है कि हमारे जवानों को भी यही दिशा प्रदान करें। आज का भारत महाभारत की ओर नहीं बल्कि महान भारत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि बाहर के युद्ध मिसाइल से जीते जा सकते हैं परन्तु अन्दर के युद्ध के लिये तो वेदों द्वारा बताये गये ध्यान व मेडिटेशन के द्वारा ही जीता जा सकता है। साइंस हमें बड़ा-बड़ा बनाना बता सकती है परन्तु बढ़िया बनना है तो वेदों को जीना होगा। आज भारत को हेट स्पीच की नहीं बल्कि हार्ट स्पीच की जरूरत है। अपनी संस्कृति, अपनी जड़ों, अपने मूल्यों की ओर लौटना अर्थात वेदों की ओर लौटना इसी की आज जरूरत है। पूर्व राष्ट्रपति भारत श्री रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि हमारी सोच सदैव नये विचारों और ज्ञान को प्राप्त करने के लिये अग्रसर रहे। जिज्ञासु वृति ज्ञान प्राप्त करने के लिये अति आवश्यक है इसका उल्लेख कठोपनिषद् में किया गया है, इसमें कहा गया है ‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्त वरान्निबोधत’ अर्थात हे मनुष्यों उठो, जागो और सचेत रहो। श्रेष्ठ अर्थात ज्ञानी पुरूषों के पास जाकर ज्ञान प्राप्त करो। उन्होंने कहा कि वेद वैदिक परम्परा का मूल है। वेद सर्वोच्च, शाश्वत और मूल है। हमारे वेद कानून व्यवस्था के सूत्र हैं और सामाजिक कल्याण के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारे देश का आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते्’ मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। इस आदर्श सूत्र वाक्य में मानव जगत की सीमा निर्धारित है। सत्य की सदा विजय हो और असत्य की पराजय हो, सत्य और असत्य सभ्यता के आरंभ से ही धर्म के केन्द्र में रहा है। इस अवसर पर उन्होंने महाग्रंथ रामायण, महाभारत और दानवीर कर्ण के प्रसंग का भी उल्लेख किया।

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