परमार्थ निकेतन में नमामि गंगे के महानिदेशक अशोक कुमार और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती की माँ गंगा, यमुना जी और उनकी सहायक नदियों की निर्मलता और अविरलता के साथ ही परमार्थ निकेतन में गंगा आरती ट्रेनिग हेतु विस्तृत चर्चा हुई।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 3 मई। परमार्थ निकेतन में नमामि गंगे के महानिदेशक अशोक कुमार और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती की माँ गंगा, यमुना जी और उनकी सहायक नदियों की निर्मलता और अविरलता के साथ ही परमार्थ निकेतन में गंगा आरती ट्रेनिग हेतु विस्तृत चर्चा हुई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बताया कि ऋषिकेश में गंगा संसद और दिल्ली में यमुना संसद का आयोजन किया जायेगा ताकि न केवल गंगा माँ के तट पर स्थित पांच राज्य बल्कि पूरा भारत मिलकर कार्य करे क्योंकि गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि हम भारतीयों की माँ है। हम सभी को मिलकर गंगा के तटों को हरित, स्वच्छ, प्रदूषण एवं प्लास्टिक से मुक्त करना होगा। तटों के दोनों ओर जैविक खेती शुरू करनी होगी ताकि कीटनाशकों से होने वाले जल और मृदा के प्रदूषण को कम किया जा सके। साथ ही गंगा जी के दोनों तटों पर ग्रीन कारिडोर का निर्माण पर जोर देना होगा। स्वामी जी ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्राकृतिक खेती ही भावी पीढ़ी की खेती हो क्योंकि प्राकृतिक खेती ही असली खेती है। प्राकृतिक और पारम्परिक खेती ही भविष्य में अपनायी जाने वाली खेती हो। स्वामी ने बताया कि परमार्थ निकेतन में समय-समय पर गंगा आरती का प्रशिक्षण दिया जायेगा। विगत कुछ माह पहले भी कई बार तीन-तीन दिनों का गंगा आरती का विधिवत प्रशिक्षण परमार्थ निकेतन में दिया गया था जो कि नियमित रूप से जारी रहेगा। स्वामी जी ने कहा कि भारत के यशस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नमामि गंगे, अर्थ गंगा के तहत “ब्रिज ऑफ इकोनॉमिक्स’ के रूप में एक सेतु के माध्यम से लोगों को गंगा से जोड़ने का अद्भुत कार्य किया है। माँ गंगा के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्त्व के अलावा गंगा जी से मिलने वाले आर्थिक लाभों पर भी ध्यान देने हेतु प्रेरित किया जिससे केवल रोजगार ही नहीं बल्कि संस्कार भी बढ़ेगा, एक दूसरे के बीच एकता का आधार भी बढ़ेगा, प्यार भी बढ़ेगा और साथ-साथ व्यापार भी बढ़ेगा। नमामि गंगे जैसे कार्यक्रम के लिये युवा पीढ़ी में सामाजिक और व्यावहारिक बदलाव लाने के लिये अद्भुत कार्य किये जा रहे हैं। हम सभी को मिलकर नदियों एवं जलस्रोतों की स्वच्छता के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करने की जरूरत है, बाकी तो सब स्वतः ही ठीक हो जाएगा।