गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय-विभाग में ज्ञान रूपी अग्नि में ब्रह्मचारियों को दक्ष करने वाले गुरुजनों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुकुल कांगड़ी के मुख्याध्ष्ठिाता डा0 दीनानाथ शर्मा ने समस्त गुरुजनों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ प्रदान की।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय-विभाग में ज्ञान रूपी अग्नि में ब्रह्मचारियों को दक्ष करने वाले गुरुजनों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुकुल कांगड़ी के मुख्याध्ष्ठिाता डा0 दीनानाथ शर्मा ने समस्त गुरुजनों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ प्रदान की। उन्होंने कहा कि शिक्षक ब्रह्मचारियों के प्राण होते हैं। ब्रह्मचारियों का हृदय कोमल होता है, उस पर जो भी संस्कार एक बार अंकित कर दिये जायें वे सदैव कार्य रूप में परिणत हो जाते है। विद्या मानव के सर्वांगीण विकास का उत्तम साधन है। जिसके लिए गुरुकुल की प्रसिद्ध गत 117 वर्षों से सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है। इस अवसर पर सहायक मुख्याध्ष्ठिाता डा0 नवनीत परमार ने गुरु शिष्य संबंध पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि गुरु अपने शिष्य के चित्त पटल पर अपने उपदेश को अंकित कर देता है। जो छात्रों की प्रत्येक परिस्थिति में रक्षा करता है। इस अवसर पर मुख्याध्यापक डा0 विजेन्द्र शास्त्री ने कहा कि गुरुकुल के ब्रह्मचारियों पर ही हमारा भविष्य निर्भर करता है, इन्हीं में आने वाला कल सुरक्षित है। ये ही ब्रह्मचारी आर्य परम्परा के सम्वाहक बनेंगे तथा ऋषि दयानन्द के सपनों का भारत बनायेंगे। आज गुरुजनों का आत्ममंथन का दिवस है, वे ब्रह्मचारियों को कुंदन बना सकते हैं।