देवसस्कृति विश्व विद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधक को मन पर संयम होना चाहिए , अंतकरण को शांत करना चाहिए ,भयभीत न हो , मन की वासना को मारना चाहिए। मन को वश में करना चाहिए।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिद्वार 20 अक्टूबर। देवसस्कृति विश्व विद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधक को मन पर संयम होना चाहिए , अंतकरण को शांत करना चाहिए ,भयभीत न हो , मन की वासना को मारना चाहिए। मन को वश में करना चाहिए। श्रद्धेय डॉ पण्ड्या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के नवरात्र साधना में जुटे युवा साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ध्यान से चित्त एकाग्र होता है। साधक का आत्म कल्याण और आत्म साक्षात्कार के मार्ग पर ले जाता है। साधक योगी और तपस्वी होना चाहिए।साधक के भीतर हमेशा ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। आज नवरात्री स्वाध्याय के पंचम दिन गीता के ६/१४ श्लोक की व्याख्या करते हुए कही। इससे पूर्व शांतिकंुज के डॉ शिवनारायण प्रसाद, ओंकार पाटीदार की युगगायकों की टीम हमें शक्ति दो ,हमें भक्ति दो माँ प्रार्थना से उपस्थित साधकों को भावविभोर कर दिया। स्वाध्याय के अंतिम चरण में श्रीमद्भगवतगीता की महाआरती की गयी। इस अवसर पर कुलपति श्री शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, कुलसचिव श्री बलदाउ देवांगन, समस्त विभागाध्यक्ष सहित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, शांति कुंज परिवार एवं देश विदेश से आये साधकगण उपस्थित रहे।