देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में नवरात्र साधना में जुटे साधकों को संबोधित करते हुए कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधक को साधना के दौरान आहार विहार को संयमित रखना चाहिए। साधना साधक के जीवन शैली को सुधारती है।
रिपोर्ट - ऑल न्यूज़ ब्यूरो
हरिद्वार 23 अक्टूबर। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में नवरात्र साधना में जुटे साधकों को संबोधित करते हुए कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधक को साधना के दौरान आहार विहार को संयमित रखना चाहिए। साधना साधक के जीवन शैली को सुधारती है। साधना में दुष्कर से दुष्कर प्रारब्ध को काटने या कम करने की शक्ति विद्यमान है। भगवान को पाने के लिए अंतःकरण में अटूट निष्ठा एवं अनवरत साधना करने का धैर्य होना चाहिए। मीराबाई, भक्त प्रहलाद आदि ने अपनी श्रद्धा भक्ति एवं दृढ इच्छा शक्ति से भगवान को प्राप्त किया था। भगवान से मिलन हेतु साधना करने का यह सर्वोत्तम समय है। युवा उत्प्रेरक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि जीवन साधना को इतना प्रखर व प्राणवान बनायें, जिससे भगवान की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपको इच्छित फल की प्राप्ति हो। अपने अनुभवों को साझा करते हुए श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो, तो ईश्वर की कृपा सफलता के रूप में प्राप्त होती है। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने पं. श्रीराम शर्मा आचार्य आदि की अनवरत साधना के फलों को सरल ढंग से समझाया। इस अवसर पर विद्यार्थियों के साधनात्मक, व्यावहारिक एवं सैद्धान्तिक जिज्ञासों का समाधान किया।