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ऋषि दयानन्द के व्यक्तित्व एवं दार्शनिक पक्ष को वैदिकता की कसौटी पर उत्तोलित कर रोचक ढंग से प्रस्तुत किया |


गुरुकुल का स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरुकुल के ब्रह्मचारी ऋषि गौतम कक्षा 11 एवं ब्रह्मचारी आरूष ने ऋषि दयानन्द के व्यक्तित्व एवं दार्शनिक पक्ष को वैदिकता की कसौटी पर उत्तोलित कर रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय विभाग हरिद्वार में यज्ञ के साथ गुरुकुल का स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरुकुल के ब्रह्मचारी ऋषि गौतम कक्षा 11 एवं ब्रह्मचारी आरूष ने ऋषि दयानन्द के व्यक्तित्व एवं दार्शनिक पक्ष को वैदिकता की कसौटी पर उत्तोलित कर रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। उक्त छात्र को मुख्याध्ष्ठिाता डा॰ दीनानाथ शर्मा एवं सभी प्राध्यापकों ने आशीर्वाद देकर आगामी भविष्य की सुखद कामना देते हुए कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द एवं गुरुकुल के सम्बन्ध् में अपने विचार प्रकट कर छात्रों एवं शिक्षकों को राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा लेकर कार्य करना चाहिए। स्वामी श्रद्धानन्द यदि ऋषि दयानन्द से प्रेरणा लेकर अपना सब कुछ समर्पित न करते तो आज गुरुकुल का यह दृश्य दिखाई न देता। इस अवसर पर यज्ञ के ब्रह्मा डा॰ योगेश शास्त्री ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द का समग्र जीवन राष्ट्र कल्याण एवं समर्पण के रूप में दिखाई देता है। उन्होंने गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली को पुनः स्थापित कर समाज को नवसर्गतः प्रदान की। उनका निर्भिक स्वतंत्रता सेनानी का स्वरूप इतिहास की एक अप्रतिम अवधारणा है, जिसकी झलक स्वतंत्रता आंदोलन में दिखाई देती है। गुरुकुल के कार्यवाहक प्रधनाचार्य जितेन्द्र कुमार वर्मा ने ब्रह्मचारियों को अवगत कराया कि 04 मार्च 1902 को स्वामी श्रद्धानन्द ने 14 ब्रह्मचारियों के साथ कांगड़ी के बीहड़ में गुरुकुल स्थापना का उददेश्य सत्यार्थ प्रकाश के द्वितीय-तृतीय सम्मुलास का प्रभाव है। जो आज वट-वृक्ष के रूप में अनेकानेक लोगों को शीतलता दे रहा है।

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