हरिद्वार सहित उत्तराखण्ड की पांचों लोकसभा सीटों पर आज शांम 5 बजे तक 53.56 प्रतिशत मतदान के साथ 55 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद हो गया। मतदान समाप्ति के साथ ही वोटरों के रूझान ने भविष्य की तस्वीर भी साफ कर दी है।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हरिद्वार सहित उत्तराखण्ड की पांचों लोकसभा सीटों पर आज शांम 5 बजे तक 53.56 प्रतिशत मतदान के साथ 55 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद हो गया। मतदान समाप्ति के साथ ही वोटरों के रूझान ने भविष्य की तस्वीर भी साफ कर दी है। भाजपा प्रत्याशियों को विकास योजनाओं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम वोट पड़ा तो, कांग्रेस ने भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी आदि मुद्दों को भुनाने की कोशिश की है। जबकि मतदाताओं को रिझाने के लिए निर्दलीय और अन्य पार्टियों के कई स्थानीय मुद्दे लोगों के बीच थे। बहरहाल साइलेंट वोटर ने यह तय कर दिया है कि ताज किसके सिर सजेगा। राज्य की अन्य लोकसभा सीटों की अपेक्षा हरिद्वार लोकसभा सीट पर सर्वाधिक 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस सीट के 11 विधानसभा निर्वाचन खण्डों के 1714 मतदेय स्थलों पर मतदान हुआ है। भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हरिद्वार लोकसभा सीट पर दोपहर 1 बजे तक मात्र 39.41 प्रतिशत मतदान होने से अनुमान लगने लगा था कि इस बार मतदान का प्रतिशत 60 तक भी पहुंचना मुश्किल है। बहरहाल शाम पांच बजे तक 59.01 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि तीन बजे तक यह आंकड़ा मात्र 49.62 प्रतिशत ही था। तीन बजे के बाद जैसे ही गर्मी कम हुई तो लोगों ने घरों से निकलना शुरू किया और शाम होते-होते मतदान ने और 10 प्रतिशत की छलांग लगाई। शाम 5 बजे तक जो लोग मतदान पर्ची लेकर लाइन में लग गये थे। उनके मतदान के आंकड़े आने पर कुल प्रतिशत में बढ़ोतरी संभव है। लेकिन अब यह प्रतिशत बहुत ज्यादा नहीं होगा। लक्सर, खानपुर, नारसन, झबरेड़ा, रूड़की आदि के मतदान केंन्द्रों की मीडिया कवरेज के दौरान देखा गया कि हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के शहरी क्षेत्र में मतदान केन्द्रों पर जहां वोट डालने के लिए मतदाताओं की भीड़ रही। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के कई मतदान केन्द्रों पर दोपहर तक सन्नाटा पसरा रहा। मतदान के प्रति विशेष उत्साह नजर नहीं आया, कुछ केन्द्रों पर तो सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक 30 प्रतिशत के आसपास ही मतदान हुआ था। कहीं-कहीं तो बड़े-बड़े दावे करने वाले कई प्रत्याशियों के बस्ते तक नहीं लगे थे। और जो लगे भी थे तो वे भी दोपहर होते-होते सिमटने लगे थे। जैसे ही सूरज का ताप कम हुआ तो दोपहर 3 बजे के बाद मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं की भीड़ बढ़ी लेकिन मतदान समाप्ति तक मतदान का प्रतिशत अपेक्षित गति नहीं पकड़ पाया। लक्सर-खानपुर क्षेत्र में ऐसे नजारे भी देखने को मिले जहां लोगों ने मतदान के बजाय अपने काम को प्राथमिकता दी। वे खेत में गेहूं की कटाई करते और धान की रोपाई करते तक देखे गये। कई जगह दुकाने और लोगों के कारोबार भी खुले थे। इसका सीधा असर मतदान के प्रतिशत पर पड़ा। अगर हरिद्वार जनपद के कुछ चुनिंदा पोलिंग बूथों में दोपहर तक मतदान का प्रतिशत देखें तो शिक्षाराज इंटर कालेज सुल्तानपुर कुन्हारी के दो बूथों पर दोपहर ग्यारह बजे तक करीब 41.13 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं राजकीय प्राथमिक विद्यालय टीक्कमपुर के पोलिंग स्टेशन पर 36.60 प्रतिशत, विकास खंड कार्यालय, लक्सर के तीन मतदान केन्द्रों पर तब 30.20 प्रतिशत, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोवरधनपुर के दो बूथों पर 46.22 प्रतिशत मतदान हुआ था। दोपहर 12.45 बजे तक राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खानपुर 51.80 मतदान हो चुका था। चौधरी भरत सिंह इंटर कालेज, झबरेड़ा में बूथ न. 143 पर 1185 मतदाता पंजीकृत थे। इस बूथ पर दोपर दो बजे तक 50 प्रतिशत मतदान हो चुका था। अन्य बूथों की अपेक्षा यहां मुस्लिम महिला मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिला। इसी के साथ लगे डीएवी ब्लाक महाविद्यालय के मतदान केन्द्र पर भी दो बजे तक 52 प्रतिशत मतदान हो चुका था। इन बूथों के मतदान प्रतिशत से वास्तविक स्थिति का अनुमान पहले ही लगने लगा था। उन कारणों के खोजें तो कुछ स्थानों पर मतदाता सूची में नाम अंकन और संशोधन न होने के कारण मतदान से वंचित होने की शिकायत मिली तो बीएलओ के द्वारा वृद्ध, बीमार और मतदान केन्द्र तक न जा सकने वाले बुजुर्गों को चिन्हित करने के मामले भी संज्ञान में लाये गये। जिसने मतदान के प्रतिशत को प्रभावित किया। मतदान प्रतिशत इसलिए भी प्रभावित हुआ कि जिन जन प्रतिनिधियों या नुमाइंदों को प्रत्याशी या पार्टी की ओर से कार्यालय या बस्ते लगाने का खर्चा ठीक ठाक नहीं मिला तो समर्थक वोटरों को घरों से निकलवाने में उन्होंने पर्याप्त रूचि नहीं दिखाई। पार्टियों के ऐसे स्थानीय नेता भी मतदान प्रतिशत न बढ़ा पाने के लिए जिम्मेदार रहे हैं जिनको बुजुर्ग मतदाताओं को मतदान केन्द्र पहुंचाने की व्यवस्था के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने इसमें रूचि नहीं ली। जबकि स्वयं को सुर्खियों ने रखने के लिए वे कोई कसर नहीं छोड़ते। प्रशासनिक, राजनैतिक और समाजिक स्तर हुई इसी तरह की अनेक लापरवाहियों के कारण ही लोकसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ पाया।