संस्कृतभारती-अखिल भारतीय गोष्ठी-2024 में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने श्रीव्यास मन्दिर, हरिपुरकला में आयोजित कार्यक्रम में सहभाग किया।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
ऋषिकेश, 15 सितम्बर। संस्कृतभारती-अखिल भारतीय गोष्ठी-2024 में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने श्रीव्यास मन्दिर, हरिपुरकला में आयोजित कार्यक्रम में सहभाग किया। संस्कृत भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संस्कृत प्राचीन भाषा है, संस्कृत पवित्र भाषा है। हमारी तो पूजा, साधना, समाधि सभी के लिये संस्कृत के दिव्य मंत्र है इसलिये हमारी तो साधना भी संस्कृत भाषा है और हमारी तो समाधि भी संस्कृत भाषा है। स्वामी जी ने कहा कि संस्कृत भाषा देव भाषा है, दिव्य भाषा है, मीठी भाषा, स्पष्ट भाषा है और साधना भाषा है। अगर सारी भाषाओं को शुद्ध किया जाये तो संस्कृत बन जायेगी इसलिये तो संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा गया है। यह सब भाषाओं में प्राचीन भाषा है लेकिन आज क्या स्थिति हो गयी है हमारी इस दिव्य भाषा की इस पर चिंतन करने की जरूरत है। स्वामी जी ने कहा कि संस्कृत सीखेंगे तो संस्कृति आयेगी, संस्कृति सीखंेगे तो संस्कार आयेंगे, संस्कृत, सीखंेगे तो भारत बचेगा और माँ भारती बचेगी क्योंकि संस्कृत, मूल है। संस्कृत, भाषा वैदिक साहित्य और प्राचीन भारतीय दर्शन की नींव है, जो वैदिक दर्शन और भारतीय संस्कृति का आधार है। संस्कृत, लिखित वैदिक साहित्य में सार्वभौमिक आध्यात्मिक ज्ञान है। संस्कृत, भाषा समृद्धि, उच्चता, अद्वितीय, बौद्धिक शक्ति की भाषा है। भारतीय संस्कृति केवल भारत की संस्कृति नहीं बल्कि मानवमात्र की संस्कृति है विश्व मंगल की संस्कृति है, सर्व भूतहिते रताः की संस्कृति है, समन्वय की संस्कृति है, समत्व की संस्कृति है, यह केवल भारत ही नहीं पूरी मानवता के लिये वरदान है इसलिये संस्कृति व संस्कृत को जीवंत व जागृत बनाये रखना जरूरी है।