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जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि हम कभी चल भी सकते हैं उनके सपने हो रहे हैं साकार


प्रधानमंत्री भारत नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जन्मदिवस के अवसर पर उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित दिव्यांगता मुक्त उत्तराखंड़ शिविर के प्रथम चरण का आज समापन हुआ।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 30 सितम्बर। प्रधानमंत्री भारत नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जन्मदिवस के अवसर पर उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित दिव्यांगता मुक्त उत्तराखंड़ शिविर के प्रथम चरण का आज समापन हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने उत्तरकाशी में मेडिकल काॅलेज खोलने के लिये एक करोड़ रूपये दान का संकल्प किया। पूज्य स्वामी के इस भामाशाह संकल्प से उत्तरकाशी की जनता गद्गद हुई। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश और महावीर सेवा सदन, कोलकाता के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस 15 दिवसीय दिव्यांगता मुक्त उत्तराखंड अभियान में 500 से अधिक दिव्यांग जनों को कृत्रिम व सहायक अंग, कैलिपर्स, कृत्रिम हाथ व पैर, संशोधित जूते, बैसाखी और वाॅकर निःशुल्क वितरित किये गये। दिव्यांगता मुक्त उत्तराखंड़ एवं भारत अभियान विधिवत रूप से वर्ष 2022 से शुरू किया गया था। आज परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड श्री गुरमीत सिंह जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, उच्च शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री उत्तराखंड़ सरकार डा धन सिंह रावत जी, महावीर सेवा सदन के प्रमुख श्री विनोद बागरोड़िया जी, चांसलर श्रीमती मंजीरा देवी विश्वविद्यालय डा हरिशंकर नौटियाल जी, अमेरिका से श्री विक्रम शाह जी और अन्य विशिष्ट विभूतियों ने दीप प्रज्वलित कर दिव्यांगता मुक्त उत्तराखंड शिविर के माध्यम से कृत्रिम अंग वितरित किये। दिव्यांगता मुक्त उत्तराखंड, अभियान के अन्तर्गत परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश और महावीर सेवा सदन, कोलकाता की टीम विगत 15 दिनों से उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों में जा कर दिव्यांग जनों के लिये कृत्रिम अंगों का निर्माण कर रही है। पहाड़ों के लिये एक विशेष दिव्यांगता मुक्त वेन तैयार की है ताकि सभी तक इन सुविधाओं का लाभ पहुंचाया जा सके। उत्तरकाशी व बरकोट में पहली बार दिव्यांगता मुक्त शिविर आयोजित किया गया। विगत वर्षों में वहां से दिव्यांग जनों को परमार्थ निकेतन लाया जाता था परन्तु इस बार केवल पहाड़ों के लिये एक विशेष वेन के अन्दर अंग बनाने की मशीनों को लगाया गया ताकि पहाड़ के प्रत्येक गांव जाकर सुविधायें प्रदान की जा सके।

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