राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने विजयादशमी पर्व के अवसर पर कहा कि हमारे देश की संस्कृति में पर्व-त्योहारों का काफी महत्व है। हर त्योहार समाज और परिवार की मजबूती को दर्शाने का एक प्रतीक है। शारदीय नवरात्र इन्हीं में से सबसे मुख्य त्योहारों में एक है।
रिपोर्ट - अंजना भट्ट घिल्डियाल
राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने विजयादशमी पर्व के अवसर पर कहा कि हमारे देश की संस्कृति में पर्व-त्योहारों का काफी महत्व है। हर त्योहार समाज और परिवार की मजबूती को दर्शाने का एक प्रतीक है। शारदीय नवरात्र इन्हीं में से सबसे मुख्य त्योहारों में एक है। नवरात्र के दसवें दिन मनाया जाना वाला विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। विजयदशमी दशहरा सभी के सुख की कामना करने वाली और सबकी आस्थाओं को समान आदर-सम्मान देने और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना रखने वाली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस दिन पाप और बुराई के दो प्रतीक महिषासुर और रावण का अंत मां दुर्गा और भगवान राम ने किया था। दुष्ट राक्षसों से मुक्ति पाने की याद में दशहरा या विजयादशमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक मुख्य त्योहार है। दशहरा कब मनाया जाता है, दशहरा क्यों मनाया जाता है, इस वर्ष दशहरा कब है, दशहरा का महत्व क्या है जैसे पहलुओं से छात्रों को अवगत कराने और भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समझने का यह उपयोगी माध्यम है। इस त्योहार में बुराई पर पुण्य की जीत का संकेत है, और लोग इसे विभिन्न रीति-रिवाज, पूजा-पाठ के साथ मनाते हैं। धार्मिक लोग व्रत रखते हैं, और कुछ लोग दशहरा के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं ताकि वे देवी दुर्गा के आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त कर सकें। दसवें दिन को लोग असुर राजा रावण की पराजय के रूप में मनाते हैं। दशहरा हर साल सितंबर और अक्टूबर के अंत में आता है, दीवाली के दो सप्ताह पहले। कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध करके उसका वध किया था और माता दुर्गा द्वारा राक्षसों के साथ नौ दिनों तक भयंकर युद्ध के बाद उनका का संहार किया था। दशहरा हिंदू धर्म के विश्वास का एक प्रमुख अंग है। दशहरा का दिन ‘असत्य पर सत्य की जीत’ का प्रतीक है। दशहरा हमें सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीत हासिल करती है। यह हमें सत्य और धार्मिकता का महत्व दिखाता है। इसके अलावा, यह हमें सुरंग के अंत में प्रकाश पर विश्वास दिलाता है। दशहरा अनेक सामाजिक, नैतिक संदेश देता है। ये त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है। रावण का अंत गवाह है कि अधर्म और अहंकार का अंत निश्चित है। भगवान राम की जीवन गाथा हमें धैर्य, करुणा, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का महत्व सिखाती हैं। दशहरा हमें बुरी आदतें त्यागने और सद्गुण अपनाने का संदेश भी देता है। हर मनुष्य को अपने अंदर के रावण, यानी- गुस्सा, घमंड, लालच, जलन को खत्म करने की सीख देता है।