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कन्याओं को जिमाने के साथ उन्हें जमाये भी - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


ऋषिकेश, 10 अक्टूबर 2024। परमार्थ निकेतन में विश्व प्रसिद्ध भजन गायक कृष्णदास जी आये। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में सहभाग किया।

रिपोर्ट  - 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के साथ कृष्णदास जी ने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विषयों पर चर्चा की और अपने अनुभवों को साझा किया। साथ ही वैश्विक स्तर पर योग, ध्यान, और भक्ति की महिमा एवं महत्वता पर भी चर्चा की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज कितना प्यारा संयोग है क्योंकि आज अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस भी है और दुर्गा अष्टमी भी है। आज शक्ति और सशक्तिकरण के उत्सव का संगम पर्व है। परम्परानुसार आज के दिन देवी स्वरूपा छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन कर उन्हें जिमाया जाता है, जो नारियों की शक्ति व सम्मान का प्रतीक है। दुर्गा अष्टमी का पर्व हमें बताता है कि नारी शक्ति का सम्मान और सशक्तिकरण समाज की प्रगति के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसलिये आइये परी सी इन प्यारी कन्याओं को जिमाने के साथ उन्हें जमाये भी अर्थात उन्हें अपने पैरों पर भी खड़ा करें उन्हें शिक्षित करें, उनके सपनों को उड़ान दें ताकि बेटियां स्वयं में सशक्त और समर्थ बन कर इस दुनिया का भी नेतृत्व कर सकें। स्वामी जी ने कहा कि बेटियों को शिक्षा और संसाधन देकर उन्हें फलने-फूलने के अवसर दें इससे माँ दुर्गा भी प्रसन्न होगी और हमारी बेटियाँ सफल भी और सशक्त भी बनेगी। पूजा के साथ-साथ आईये आज के दिन एक पेड़ बेटी के नाम लगाये। पेड़ तो लगायें पर लगा भी रहे इसका भी संकल्प लें, इससे पर्यावरण भी बचेगा और परम्परा भी। कृष्णदास जी ने परमार्थ निकेतन में आयोजित विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में सहभाग किया। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा आरती, जो की हर शाम माँ गंगा के पावन तट पर आयोजित होती है जो सभी को एक अद्वितीय और दिव्य अनुभव प्रदान करती है। इस आरती में भाग लेने वाले सभी साधक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाते हैं। इस आरती में शामिल होना मेरे लिए अत्यंत सुखद और गौरवमयी क्षण है। जब भी मेरी भेंट पूज्य स्वामी जी और साध्वी जी से होती है अत्यंत आत्मीयता का अहसास हेाता है। आज यहां से इस अनूठे और आध्यात्मिक अनुभव को साथ लेकर जा रहा हँू। आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विषयों के साथ कृष्णदास जी ने अपने आध्यात्मिक सफर के अनुभवों को साध्वी भगवती सरस्वती जी के साथ साझा किया। उन्होंने साध्वी जी के दिव्य सत्संग में भी सहभाग किया। उन्होंने कहा कि यह भक्ति, सेवा, और आध्यात्मिकता के महत्व को समझने का दिव्य अवसर और अविस्मरणीय अनुभव है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि कृष्णदास जी, अपने भक्ति संगीत और कीर्तन से लोगों के दिलों में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते हैं। उनके भजन और कीर्तन न केवल भारत में बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपनी संगीत यात्रा में अनेक देशों में कार्यक्रम किए और वे भक्ति के संदेश को निरंतर प्रसारित कर रहे हैं। उनका संगीत आध्यात्मिकता, शांति और सामंजस्य को बढ़ावा देने वाला |

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