परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा जी के प्रति जागरूकता एवं आरती कार्यशाला एक अनूठा और अभिनव प्रयास है जिसके माध्यम से गंगा जी के तटों पर स्थित भारत के पांच राज्यों के घाटों पर आरती करने वाले पंडितों को परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 21 नवम्बर। परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा जी के प्रति जागरूकता एवं आरती कार्यशाला एक अनूठा और अभिनव प्रयास है जिसके माध्यम से गंगा जी के तटों पर स्थित भारत के पांच राज्यों के घाटों पर आरती करने वाले पंडितों को परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती एवं माधवी लता जी ने गंगा जी के प्रति जागरूकता एवं आरती कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमें गंगा जी के पैरोकार, पहरेदार व पत्रकार बनना होगा। गंगा जी की पवित्रता और संरक्षण के लिए समाज के हर वर्ग को सहयोग करना होगा। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम गंगा जी की स्वच्छता और संरक्षण के लिए मिलकर कार्य करें। गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। गंगा की पवित्रता, निर्मलता व अविरलता को बनाये रखना हमारे समाज की जिम्मेदारी है। गंगा जी को स्वच्छ रखना केवल सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है। स्वामी ने सभी आचार्यों और पंड़ितों का आह्वान करते हुये कहा कि भारत को महान भारत बनाने के लिये, भारत की संस्कृति व संस्कारों की रक्षा के लिये तथा समाज में आस्था व व्यवस्था के बनाये रखने के लिये सभी को मशाल जलाना होगा और मिसाल कायम करना होगा। डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जल ही जीवन है, परन्तु गंगा जल तो अमृत है। हम अमृत को कैसे प्रदूषित कर सकते हैं? गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। हम जिस मां की पूजा करते हैं, उन्हें गंदा नहीं कर सकते। गंगा मां का जल पवित्र और अमृततुल्य है। हमें गंगा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। गंगा जी को स्वच्छ रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है और इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। माधवी लता जी ने कहा कि जिस प्रकार हमें लगता है कि हमारे फेफड़ों की सेहत हमारी सेहत है। हम श्वास लेने के लिये जल्दीबाजी नहीं करते, हम अपनी प्यास बुझाने के लिये तब तक पानी पीते हैं जब तक प्यास बुझती नही, जब तक भोजन पूर्ण रूप से पकता नहीं हम तब तक अग्नि का उपयोग करते हैं अर्थात जीवित रहने के लिये हम जो साधन एकत्र करते है उसके लिये हमारे पास समय है, तो हमें जीवित रखने वाली गंगा माँ के लिये भी हमारे पास समय होना चाहिये; उनके लिये भी हमें समय निकालना होगा।