परमार्थ निकेतन में लाखानी परिवार द्वारा दिव्य श्रीमद् भागवत का आयोजन किया गया। कथा के साथ पूरा लाखानी परिवार परमार्थ निकेतन के दिव्य, आध्यात्मिक वातावरण का आनंद ले रहे हैं।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 30 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन में लाखानी परिवार द्वारा दिव्य श्रीमद् भागवत का आयोजन किया गया। कथा के साथ पूरा लाखानी परिवार परमार्थ निकेतन के दिव्य, आध्यात्मिक वातावरण का आनंद ले रहे हैं। लाखानी परिवार के बड़े, छोटे बच्चे व युवा सभी को परमार्थ निकेतन गंगा तट पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने एक होकर रहने ’एक रहेंगे; नेक रहेंगे; न बंटेंगे न बाटेंगे’ का संकल्प कराया। स्वामी जी ने कहा कि आज इसी की आवश्यकता है कि सभी मिल कर रहे, एकता व एकजूटता के साथ रहे और समाज में समरसता, सद्भाव बनाये रखे। स्वामी जी ने कहा कि गुजरात की धरती भी अद्भुत धरती है। लोगों में श्रद्धा, प्रेम व आस्था कूट-कूट कर भरी हुई है। गंगा के पावन तट पर गुजरात से आये श्रद्धालु दीपावली के अवसर पर परमार्थ गंगा तट पर श्रद्धा, आस्था व प्रेम के दीप जला रहे हैं। श्रीमद् भागवत कथा जीवन को आध्यात्मिक दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करती है। श्रीमद् भागवत कथा न केवल प्रभु के जीवन, उनकी लीलाओं, और उनके उपदेशों का संकलन है बल्कि वह हमारे जीवन का आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करती है। कथा के श्रवण मात्र से व्यक्ति को आत्मिक शांति, भक्ति, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। आज दीपावली के दिन श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हुआ, सैकड़ों-सैकड़ों लोगों ने जिस उत्साह व आनंद से जन्मोत्सव मनाया वह दृश्य अद्भुत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आओ दीपावली का दीया बने! स्वयं जले और दूसरों को रोशन करे। हम अपने जीवन में ऐसे कार्य करे जो न केवल हमें बल्कि हमारे आसपास के लोगों को भी रोशन करें, उन्हें प्रेरित करें, और उनका जीवन भी खुशियों से भर दें। स्वयं जलना अर्थात आत्म-समर्पण और आत्म-प्रकाशित होना। यह हमें सिखाता है कि हमें अपनी कमियों, अहंम, डर और नकारात्मकताओं से ऊपर उठकर आत्मा का प्रकाश जागृत करना होगा जैसे एक दीया जलकर अंधकार को मिटाता है, वैसे ही हमें अपने जीवन में ज्ञान, सत्य और धर्म का पालन करते हुये समाज से अज्ञान और अधर्म को मिटाना होगा।