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गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती के सिद्धांत एवं पद्धतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला


गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती के सिद्धांत एवं पद्धतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की नमामि गंगा परियोजना के एडवाइजर जगमोहन गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में भारतीय परम्परागत व्यवस्थाओं का प्रयोग एवं प्रकृति में संतुलन बनाने में बेहतर विकल्प है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट के अन्तर्गत देश में किसानों की आय दोगुना करने तथा प्राकृतिक खेती तथा परम्परागत व्यवस्थाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती के सिद्धांत एवं पद्धतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की नमामि गंगा परियोजना के एडवाइजर जगमोहन गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में भारतीय परम्परागत व्यवस्थाओं का प्रयोग एवं प्रकृति में संतुलन बनाने में बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती ही देश के अन्नदाताओं की माध्यम से वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र में 20 मॉडल फार्म बनाये जाने प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों के पास एक हेक्टयर भूमि फार्म हेतु उपलब्ध है। वह इस योजना से जुड़कर लाभ उठा सकते है। उन्होने कहा की गुरूकुल कॉंगड़ी समविश्वविद्यालय में इस योजना के तहत एक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जायेगी। जिसमें किसान अपनी मृदा का परीक्षण कराकर उपयोगी फसलों को उगाकर अपनी आय बढ़ा सकेगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रानीपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक आदेश चौहान ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि विकासवादी दौड़ के चलते हम हर क्षेत्र में तकनीकी व मशीनी योजनाओं पर निर्भर हो प्रकृति से दूर होते जा रहे है। जिसके चलते इसके कई दुष्परिणामों से हमारा दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है। हमें अपने जीवन को सुधारने के लिए विकासवादी दौड़ से हटकर प्रकृति से जुड़कर प्राकृतिक संसाधनों को अपने जीवन में जोड़ना होगा। खेती व किसान भी इसी दौड़ से जुडे है। उन्हे भी प्राकृति व उसके संसाधनों की ओर लौटना होगा।

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