गंगा है तो हमारी संस्कृति, प्रकृति और संतति है स्वामी चिदानन्द सरस्वती


दिल्ली में आयोजित समारोह में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री, भारत सरकार, आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी और अनेक विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर विरासत की वाहक भारत की नदियाँ पर चिंतन-मंथन किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 4 नवम्बर। राष्ट्रीय नदी संगम-2024 भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री, भारत सरकार, आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी और अनेक विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर विरासत की वाहक भारत की नदियाँ पर चिंतन-मंथन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गंगा है तो हम हैं; गंगा है तो हमारी संस्कृति, प्रकृति और संतति है। हमारी सभ्यता, संस्कृति, आस्था और आध्यात्मिकता माँ गंगा के बिना अधूरी है। गंगा न सिर्फ हमारी राष्ट्रीय नदी है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का आधारस्तंभ भी है। भारत में विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के बावजूद, माँ गंगा हमें एक सूत्र में पिरोती है। मोक्षदायिनी माँ गंगा ने न केवल भारत भूमि को पवित्र किया है बल्कि भारतीयों के दिलों को संस्कृति व संस्कारों से भी पोषित किया है। राष्ट्रीय नदी गंगा भारत की आत्मा है, गंगा राष्ट्रीय धरोहर है। स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि माँ है। 2,525 किलोमीटर का चलता-फिरता मन्दिर है। वह केवल जल का ही नहीं बल्कि जीवन का भी स्रोत है। माँ गंगा ने मनुष्य को जन्म तो नहीं दिया परन्तु जीवन दिया हैं। वर्तमान समय में हमारी नदियां और धरती माता दोनों पीड़ित हैं इसलिये हमें अपने शोषणकारी व्यवहार को बदलना होेगा ताकि हमारी नदियां कलकल करती बहती रहे; सब का भरण-पोषण करती रहें और कोई भी पीछे न छूटे। आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी ने कहा कि भारत की नदियाँ सदियों से हमारी संस्कृति, सभ्यता, और आस्था का महत्वपूर्ण अंग रही हैं। ये नदियाँ न केवल जल का स्रोत हैं बल्कि हमारी विरासत की वाहक भी हैं। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ भारतीय जनजीवन में अपार महत्ता रखती हैं।

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