उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के समसà¥à¤¤ पौराणिक तीरà¥à¤¥à¥‹ व चारधाम की यातà¥à¤°à¤¾ को हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की गयी शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद अखाड़ा की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° को छड़ी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤® गिरि महाराज के नेतृतà¥à¤µ में करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से नौउटी गांव शà¥à¤°à¥€à¤¯à¤‚तà¥à¤° पूजन के लिठपहà¥à¤šà¥€à¥¤
रिपोर्ट - गोपाल रावत
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के समसà¥à¤¤ पौराणिक तीरà¥à¤¥à¥‹ व चारधाम की यातà¥à¤°à¤¾ को हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की गयी शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद अखाड़ा की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° को छड़ी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤® गिरि महाराज के नेतृतà¥à¤µ में करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से नौउटी गांव शà¥à¤°à¥€à¤¯à¤‚तà¥à¤° पूजन के लिठपहà¥à¤šà¥€à¥¤ नौउटी गाॅव पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर शà¥à¤°à¥€à¤¯à¤‚तà¥à¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ मदन पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ मैठाणी, गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ सà¥à¤à¤¾à¤· नौटियाल,राजेश सेमलà¥à¤Ÿà¥€,राकेश नौटियाल,अतà¥à¤² बाबा,महाकाल गिरि व गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ ने पà¥à¤·à¥à¤ªà¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ कर पवितà¥à¤° छड़ी तथा साधà¥à¤“ं के जतà¥à¤¥à¥‡ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया तथा छड़ी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की। बताते चले कि नौटी गाॅव से ही उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के कà¥à¤®à¥à¤ के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ नंदाराजजात यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होती है जो कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• 12वरà¥à¤·à¥‹ में आयोजित की जाती है। नंदा देवी गà¥à¤µà¤¾à¤² व कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥à¥… की इषà¥à¤Ÿà¤¦à¥‡à¤µà¥€ है। नंदाषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ के दिन नंदा देवी अपने ससà¥à¤°à¤¾à¤² हिमालय मंे à¤à¤—वान शिव के घर ले जाने के लिठराजजात यातà¥à¤°à¤¾ आयोजित की जाती है। नंदादेवी को पारà¥à¤µà¤¤à¥€ का ही रूप माना जाता है। नौटी गांव में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पौराणिक काल के शà¥à¤°à¥€à¤¯à¤‚तà¥à¤° की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ ही शà¥à¤à¤®à¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में राजजात यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की जाती है। नौटी गाॅव में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ से पूरà¥à¤µ पौराणिक नगर करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में मंगलवार की शाम पवितà¥à¤° छड़ी के पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर अलकनंदा तथा पिणà¥à¤¡à¤° नदी के संगम पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ संगम महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में मंडल शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त शिवानंद गिरि,महंत नागेशà¥à¤µà¤° गिरि महंत à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ के नेतृतà¥à¤µ में नागरिकों ने ढोल,बाजे,नगाड़ो की तà¥à¤®à¥‚ल धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पूषà¥à¤ª वरà¥à¤·à¤¾ कर à¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। पवितà¥à¤° छड़ी को संगम में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ शिवालय में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की गयी तथा à¤à¤—वान शिव का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया गया। जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि ने बताया लगà¤à¤— 800 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ आदà¥à¤¯à¤œà¤—दॠगà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ ने इसी पर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर नागा सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सबसे बड़े अखाडे जूना अखाड़े की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बताया करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— का नाम महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के दानवीर करà¥à¤£ के नाम पर पड़ा है। यहा पर दानवीर करà¥à¤£ का पौराणिक काल का à¤à¤µà¥à¤¯ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है। à¤à¤• पौराणिक गाथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जहंा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में करà¥à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है,वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कà¤à¥€ जल के अनà¥à¤¦à¤° था और मातà¥à¤° करà¥à¤£à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ नामक शिला की à¤à¤• नोक जल से बाहर थी। कà¥à¤°à¥‚कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के यà¥à¤¦à¥à¤µ के बाद à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने करà¥à¤£ का दाह-संसà¥à¤•à¤¾à¤° करà¥à¤£à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ की नोक पर अपनी हथेली रखकर उस पर किया था। इसी सà¥à¤¾à¤¿à¤¨ पर करà¥à¤£ का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤® गिरि महाराज ने बताया वृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤° को पवितà¥à¤° छड़ी कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ॅ मणà¥à¤¡à¤² के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पर साधà¥à¤“ं की जमात जिसकी अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ छड़ी महंत शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त विशमà¥à¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त शिवदतà¥à¤¤ गिरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤°à¤¾à¤œ गिरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त अजयपà¥à¤°à¥€,कोरोबारी महंत महादेवांनंद गिरि पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ महंत परमानंद गिरि कर रहे है,रवाना होगी। पवितà¥à¤° छड़ी थराली डंगोली होते हà¥à¤ पौराणिक तीरà¥à¤¥ बैजनाथ धाम दरà¥à¤¶à¤¨ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ कौसानी में रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® करेगी।