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शराब कारखानों की बंदी को लेकर तीसवें दिन भी जारी रहा सिविल सोसायटी का धरना


कारखानों की बंदी की मांग को लेकर धरना जारी रहा। धरने पर बैठे पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि गंगा की अविरलता व स्वच्छता को लेकर सरकार को गंभीर होना चाहिए।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार, 1 अक्टूबर। देवभूमि सिविल सोसायटी का तीसवें दिन भी शराब कारखानों की बंदी की मांग को लेकर धरना जारी रहा। धरने पर बैठे पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि गंगा की अविरलता व स्वच्छता को लेकर सरकार को गंभीर होना चाहिए। हिमालय क्षेत्र में शराब कारखाने लगेंगे तो गंगा की पवित्रता नष्ट होगी। उन्होंने कहा कि जल जंगल जमीन को बचाने के लिए सरकार को सकारात्मक कार्यो को अंजाम देना चाहिए। शराब कारखाने लगाए जाने की नीति किसी भी सूरत में सही नहीं है। नौजवानों को प्रदेश में ही रोजगार उपलब्ध कराए जाएं। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि राज्य की त्रिवेंद्र सरकार का शराब नीति का निर्णय देवभूमि की पवित्रता व मान मर्यादाओं के अनुरूप है। किसी भी सूरत में शराब कारखाने हिमालय में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक और तो सरकार नशे के खिलाफ आंदोलन चलाती है। लेकिन दूसरी और शराब कारखाने लगाने की घोर लापरवाही कर रही है। उन्होंने कहा कि तीस दिन बीत जाने के बाद भी अब तक सरकार व शासन प्रशासन ने मांगों की कोई सुध नहीं ली है। सरकार को जागृत करने के लिए बड़े पैमाने पर धर्मनगरी में अवैध शराब के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। जेपी बड़ोनी व समाजसेवी विशाल गर्ग ने कहा कि सरकार को शराब कारखानों के लगाए जाने की नीति को तुरंत वापस लेना चाहिए। उत्तराखण्ड का युवा रोजगार चाहता है। शराब कारखाने हिमालय में लगेंगे तो पर्यावरण को भी गहरा खतरा उत्पन्न होगा। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री गंगा स्वच्छता जैसे अभियान चला रहे हैं। राज्य सरकार को भी हिमालय क्षेत्र में शराब लगाए जाने की नीति को तुरंत वापस लेना चाहिए। कांग्रेसी नेता हरद्वारी लाल ने कहा कि देवभूमि सिविल सोसायटी के सदस्यों की मांग पूरी तरह से जायज है। सरकार को जल्द से जल्द सदस्यों की मांग का संज्ञान लेना चाहिए। धर्मनगरी पूर्ण रूप से मद्यनिषेध की जाए। अवैध नशे के कारोबारों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाए। 

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